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भारतीय छात्र, घटती संख्या... और व्याख्या

कठिन नियम अपनी जगह हैं लेकिन जिस 'स्वर्ग' में अनिश्चितता, असंतोष और अंधकार की दीवारें खड़ी हो जाएं उन्हे टापकर कोई अंदर क्यों जाना चाहेगा!

सांकेतिक तस्वीर / CANVA

खबर बड़ी है और ध्यान चाहती है। खुलासा हुआ है कि विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 25 फीसदी की गिरावट आई है। और अमेरिका आने वाले विद्यार्थियों की संख्या में सर्वाधिक 34 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। गिरावट के लिहाज से अमेरिका के बाद कनाडा और ब्रिटेन का नंबर है। क्रमश: 32 और 26 प्रतिशत। ये आंकड़े पिछले साल यानी वर्ष 2024 के हैं और विभिन्न देशों के अध्ययन परमिट जारी करने वाले कार्यालयों के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित हैं। यह गिरावट एक दशक की असाधारण वृद्धि के बाद आई है जब भारतीयों ने प्रमुख वैश्विक शिक्षा केंद्रों में चीनी छात्रों को पीछे छोड़ दिया था। तो खुलासे के बाद अब हिंदुस्तान से लेकर अमेरिका में स्वाभाविक रूप से इस गिरावट के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हो रही है। सब अपने-अपने हिसाब से व्याख्याएं कर रहे हैं। बड़ी संख्या उन लोगों की है जो इस गिरावट से चिंतित हैं और इसे करियर और भविष्य के लिहाज से सही नहीं मानते। भारत में माता-पिता और अभिभावकों के जेहन में इसलिए लकीरें खिंच गई है कि उनके बच्चों के जीवन में उन्नति और बेहतरी की राहें कठिन होती जा रही हैं। वहीं, भारत में ही एक वर्ग ऐसा भी है जो इस गिरावट में अच्छाई देख रहा है। इस तबके का कहना है कि अब प्रतिभाएं देश में ही रहेंगी, उनका कौशल देश के काम आएगा। वे इसे प्रतिभा पलायन पर अंकुश के रूप में देखते हैं।  

जहां तक अमेरिका की बात है तो यह भारतीय छात्रों के लिए अध्ययन का सबसे प्रतिष्ठित और पसंदीदा ठिकाना रहा है। लेकिन कुल 25 प्रतिशत की गिरावट में 34 फीसदी हिस्सा कम नहीं है। 2023 में जहां 1,31,000 भारतीय छात्र अमेरिका गए थे, वहीं 2024 में यह संख्या 86,110 हो गई। वीजा मिलने में परेशानी, नौकरी के आकर्षक प्रस्ताव में कमी या विदेशी डिग्री को लेकर मोहभंग गिरावट की वजहें हो सकती हैं। अंदाजा या आकलन करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि पिछले साल तक अमेरिका में डेमोक्रेट्स का साम्राज्य था और सत्ता जो बाइडन के हाथ थी। चुनाव के बाद और इस वर्ष से सत्ता परिवर्तन हो गया। अब रिपब्लिकन निजाम है और डोनल्ड ट्रम्प का राज है। यह सब जानते ही हैं कि जब से ट्रम्प सत्ता में आये हैं, दुनिया हिली हुई है। उनके महज तीन महीनों में कई फैसलों से दुनिया के तमाम देशों में आफत टूट पड़ी है। खुद अमेरिका में भी हड़कंप है और लोग सड़कों पर उतकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन के फैसलों से हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और जा रही हैं। जब ट्रम्प सत्ता के लिए चुनाव मैदान में थे वे तभी से वीजा नियमों को बदलने की बात कर रहे थे। सत्ता में आने के बाद वीजा नियम बदले भी हैं। जाहिर तौर पर अमेरिका आना अब भारतीयों के लिए भी आसान नहीं है। आशंका तो पहले से थी ही कि ट्रम्प की नीतियों का भारत पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।

अब ऐसे समय में भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट की यह खबर आ गई है। सोचिए कि यह गिरावट पिछले (2024) साल हुई जब वीजा नियमों पर वैसे सख्ती नहीं थी जैसी अब है। दुनिया में मचे हाहाकार के हालात में इस साल और आने वाले कुछ सालों में क्या होगा। भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट का यह आंकड़ा और बढ़ने की आशंका है। लोग अपना देश, अपना और परिवार का करियर तथा जीवन संवारने-सुधारने के लिए छोड़ते हैं। वे अपने सपने पूरे करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा आते या जाते हैं। कठिन नियम अपनी जगह हैं लेकिन जिस 'स्वर्ग' में अनिश्चितता, असंतोष और अंधकार की दीवारें खड़ी हो जाएं उन्हे टापकर कोई अंदर क्यों जाना चाहेगा! 

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