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रामनवमी पर सजी अयोध्या, 'राम पथ' के शिल्पी आनंद सिंह से खास बातचीत

अयोध्या की यह नई पहचान न केवल एक धार्मिक स्थल की पुनर्स्थापना है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पुनरुत्थान की गवाही भी है।

आनंद सिंह / Courtesy Photo

रामनवमी के पावन अवसर पर अयोध्या नगरी एक आध्यात्मिक और वास्तुकला की चमत्कारी छवि में ढल चुकी है। राम मंदिर की ओर ले जाने वाला भव्य ‘राम पथ’ न सिर्फ श्रद्धा की राह है, बल्कि यह परंपरा और आधुनिकता के संगम का प्रतीक बन चुका है।

आस्था और आर्किटेक्चर का अद्भुत मेल
अयोध्या का कायाकल्प आज देशभर में चर्चा का विषय है। लेकिन इस परिवर्तन की नींव में एक नाम विशेष रूप से उभर कर आता है—आनंद सिंह। देशभर में अपने उत्कृष्ट शहरी विकास कार्यों के लिए पहचाने जाने वाले आनंद सिंह ने 'राम पथ' के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है।

"यह सिर्फ एक सड़क नहीं, श्रद्धा की यात्रा है"
हमसे खास बातचीत में आनंद सिंह कहते हैं, "राम पथ सिर्फ एक सड़क नहीं, यह श्रद्धालुओं की आत्मा से जुड़ी एक अनुभूति है। हमारा प्रयास था कि यह मार्ग ऐतिहासिकता को संरक्षित रखते हुए आधुनिक सुविधाओं से युक्त हो।" आनंद बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट में कई तकनीकी और सामाजिक चुनौतियां थीं। "राम पथ का हर पत्थर, हर मोड़ एक कथा कहता है। हमें हर कदम पर ध्यान रखना पड़ा कि परंपरा और विकास में संतुलन बना रहे।" 

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रामनवमी पर आलोकित अयोध्या
राम पथ पर दीपों की पंक्तियां, रंग-बिरंगी लाइटिंग, पारंपरिक तोरण द्वार, और मंदिर की प्राचीन आभा इसे एक अलौकिक अनुभव बना देते हैं। श्रद्धालु इस राह से गुजरते हुए मानो एक दिव्य यात्रा पर निकल पड़ते हैं।

भविष्य की झलक
आनंद सिंह का विज़न केवल राम पथ तक सीमित नहीं है। उनका मानना है कि अयोध्या को एक वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल बनाना अगला कदम है। "हमारी कोशिश है कि अयोध्या की सांस्कृतिक आत्मा को जिंदा रखते हुए उसे विश्व मानचित्र पर स्थापित करें।" 

अयोध्या की यह नई पहचान न केवल एक धार्मिक स्थल की पुनर्स्थापना है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पुनरुत्थान की गवाही भी है। राम पथ इस सफर की वह कड़ी है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

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