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मिसौरी यूनिवर्सिटी की रिसर्चर अपाला बसाक को NFOSD इनोवेशन अवार्ड

अपाला बसाक को इसके अलावा मिजू 18 अवार्ड और ग्रेजुएट प्रोफेशनल काउंसिल इंटरनेशनल स्टूडेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

अपाला बसाक को यह पुरस्कार नेशनल फाउंडेशन ऑफ स्वैलोइंग डिसऑर्डर्स की तरफ से दिया गया है। / image provided

मिसौरी यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता अपाला बसाक को साल 2025 के माइकल डोनोवन एनएफओएसडी इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

यह पुरस्कार नेशनल फाउंडेशन ऑफ स्वैलोइंग डिसऑर्डर्स (NFOSD) की तरफ से एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) के मरीजों में डिस्फेजिया बीमारी के इलाज के लिए उनके शोध के लिए प्रदान किया गया है। यह शोध ऑप्टोजेनेटिक न्यूरोमॉड्यूलेशन तकनीक पर आधारित है। 

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अपाला बसाक को यह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार को डिस्फेजिया रिसर्च सोसाइटी की सालाना बैठक में प्रदान किया गया। डिस्फेजिया बीमारी में मरीजों को निगलने में परेशानी होती है। ALS के अधिकांश मरीजों को यह प्रभावित करता है। यह ऐसे मरीजों की मौत का एक प्रमुख कारण भी होता है। 

अपाला बसाक की तकनीक में जीभ में एक लाइट सेंसिटिव प्रोटीन वाले वायरस को इंजेक्ट किया जाता है। इससे मांसपेशियां रोशनी के प्रति प्रतिक्रिया देकर निगलने की क्षमता को सपोर्ट करती हैं। यह तरीका दिमाग की जटिल सर्जरी से बचाता है जो कई ALS मरीजों के लिए संभव नहीं होता।

अपाला बसाक ने इस अवसर पर कहा कि अगर मेरी रिसर्च किसी एक की भी जिंदगी बचा सका या किसी एक व्यक्ति की जिंदगी बेहतर बना सका तो मुझे लगेगा कि मैंने कुछ सार्थक काम किया है। 

अपाला बसाक को इसके अलावा मिजू कैंपस में मिजू 18 अवार्ड और ग्रेजुएट प्रोफेशनल काउंसिल इंटरनेशनल स्टूडेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। एप्लाइड फिजिक्स की पढ़ाई करने वाली बसाक ने मिजू यूनिवर्सिटी में रियल टाइम इमेजिंग पर रिसर्च शुरू किया था लेकिन बाद में उन्होंने ऑप्टो जेनेटिक्स की तरफ रुख कर लिया। उनकी एडवाइजर टेरेसा लीवर और एक क्रॉस डिसिप्लिनरी कमिटी ने उनकी रिसर्च में मदद की।

रिसर्च के अलावा अपाला बसाक ने मिसौरी इंटरनेशनल स्टूडेंट काउंसिल की प्रेजिडेंट और कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ग्रेजुएट स्टूडेंट एसोसिएशन की को-फाउंडर के रूप में भी काम किया है। 

दिसंबर में ग्रेजुएशन के बाद बसाक अब एक शोधकर्ता के रूप में करियर की अगली पारी की तैयारी कर रही हैं जहां वे जिंदगी बदलने वाले इलाज में साइंस का इस्तेमाल करना चाहती हैं।

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