राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2025 में जब से राष्ट्रपति पद संभाला है, तब से वीज़ा स्टैम्पिंग ड्रॉपबॉक्स नियमों में चुपके से दो महत्वपूर्ण बदलाव कर दिए गए हैं। इसका असर अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के अप्रवासियों और उनके परिवारों पर पड़ रहा है।
पहला बदलाव:
11-12 फरवरी 2025 के आसपास ड्रॉपबॉक्स के लिए पात्रता को 48 महीनों तक वैध रहने वाले वीज़ा से घटाकर सिर्फ 12 महीनों तक कर दिया गया।
प्रभाव: इसकी वजह से कई लोग ड्रॉपबॉक्स सुविधा से बाहर हो गए। अब उन्हें वीजा की समय लेने वाली और जटिल इन पर्सन इंटरव्यू प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसके लिए शायद ही कोई अपॉइंटमेंट स्लॉट उपलब्ध हो।
दूसरा बदलाव :
16-17 फरवरी 2025 के करीब ड्रॉपबॉक्स सुविधा को केवल उन्हीं लोगों तक सीमित कर दिया गया जिनके पास पहले से उसी क्लास का वीज़ा था। इससे वो लोग प्रभावित हुए जिन्होंने पहले F1 स्टूडेंट वीज़ा से H1-B वीज़ा में अपग्रेड करते समय ड्रॉपबॉक्स का इस्तेमाल किया था।
प्रभाव: अब इन लोगों को भी वीज़ा इंटरव्यू देना अनिवार्य कर दिया गया है जबकि पहले वे ड्रॉपबॉक्स की सुविधा ले सकते थे।
इन बदलावों क वजह से H1-B वीज़ा रखने वाले परिवारों के लिए भारत की यात्रा और भी कठिन हो गई है।
एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम 30 जनवरी 2025 को अमेरिकी सीनेट में हुआ, जब सीनेटर जॉन कैनेडी (R-LA) और सीनेटर रिक स्कॉट (R-FL) ने एक प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव का उद्देश्य कोरोना काल में मिली छूट को खत्म करना था। उस समय बाइडेन प्रशासन ने H1-B वीज़ा धारकों के H4EAD (H-4 वीज़ा वाले स्पाउस के वर्क परमिट) के लिए एंप्लॉयमेंट ऑथराइजेशन डॉक्युमेंट की ऑटोमैटिक एक्सटेंशन अवधि को 180 दिनों से बढ़ाकर 540 दिनों तक कर दिया था। लेकिन अगर यह नया प्रस्ताव पास हो जाता है तो एक्सटेंशन की यह अवधि फिर से घटकर सिर्फ 6 महीने रह जाएगी।
प्रभाव: अगर एंप्लॉयमेंट ऑथराइजेशन डॉक्युमेंट (EAD) का रिन्युअल 6 महीने के भीतर अप्रूव नहीं होगा तो H4EAD धारकों को कानूनी रूप से सैलरी वाला कोई भी काम करने से बचना होगा। 2016 से ही यह एक बड़े संकट की तरह सामने आया है क्योंकि USCIS अभी भी पुरानी, धीमी पेपर आधारित प्रक्रिया का इस्तेमाल करता है।
राष्ट्रपति ट्रंप के शासनकाल में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और प्रशासनिक खामियों को दूर करने के लिए कई सख्त कदम उठाए गए हैं। लेकिन मार्च में H1-B वीज़ा सीजन शुरू होने के बावजूद अभी तक कोई भी बड़ा ऐलान इस बारे में नहीं किया गया है कि H1-B वीज़ा में सुधार कैसे होगा और वीजा धारकों की समस्याओं का हल कैसे निकाला जाएगा। बदलाव सिर्फ एक ही हुआ है, लॉटरी रजिस्ट्रेशन शुल्क 10 डॉलर से बढ़ाकर 215 डॉलर कर दिया गया है। जो लोग लॉटरी में नहीं चुने जाएंगे, उन्हें कोई रिफंड भी नहीं मिलेगा।
इन छोटी लेकिन प्रभावशाली नकारात्मक नीतियों के अतिरिक्त, H1/L1/F1 परिवारों के लिए 2025 का वीज़ा आवेदन सीज़न भी पहले जैसा ही रहने की संभावना है। 1990 में शुरुआत से इसे 36 साल हो गए हैं, लेकिन इसकी कहानी में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। न तो USCIS अभी तक आधुनिक तकनीक अपनाने में सफल हो सका है जिससे वीज़ा प्रक्रिया आसान और तेज़ हो सके और न ही अमेरिकी कांग्रेस H1-B वीज़ा सुधार को लेकर कोई ठोस कदम उठा पाई है।
H1-B वीज़ा ऐसा क्षेत्र है जहां DOGE प्रशासन (Department of Government Efficiency) ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। लेकिन एक उम्मीद बनी हुई है। वजह है- एलन मस्क का वीजा को समर्थन। मस्क खुद कभी H1-B वीज़ा का इस्तेमाल करके अमेरिका की नागरिकता तक पहुंचे हैं। अगर वे इस प्रोग्राम को समर्थन देते हैं तो शायद कोई सुधार देखने को मिल सकता है।
आगे क्या होगा? फिलहाल इस सीजन में H1-B वीज़ा धारकों के लिए सब कुछ महंगा और मुश्किल बना रहेगा। लेकिन क्या भविष्य में कोई बदलाव होगा? यह देखना अभी बाकी है।
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