कृषि क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति लाने के लिए नासा (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मिलकर NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह तैयार किया है। इस उपग्रह की मदद से किसानों और नीति-निर्माताओं को समय पर और सटीक डेटा मिलेगा, जिससे वे कृषि प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बना सकेंगे।
कृषि निगरानी में मददगार साबित होगा NISAR
NISAR में सिंथेटिक एपर्चर रडार तकनीक का उपयोग किया गया है, जो फसलों की भौतिक विशेषताओं का विश्लेषण करने, पौधों और मिट्टी में नमी का पता लगाने और बुआई से कटाई तक की पूरी प्रक्रिया को ट्रैक करने में सक्षम होगा। इसकी हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग क्षमता किसानों को अपनी फसल की निगरानी के लिए एक सटीक और विश्वसनीय साधन प्रदान करेगी।
ग्लोबल कृषि मानचित्र तैयार करेगा उपग्रह
इस साल इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने वाला यह उपग्रह दुनिया भर में हर दो हफ्ते में एक बार कृषि भूमि का विस्तृत नक्शा तैयार करेगा। यह उपग्रह हर 12 दिनों में पृथ्वी की लगभग पूरी भूमि सतह को स्कैन करेगा और 10 मीटर तक की उच्च सटीकता वाली तस्वीरें भेजेगा। यह डेटा मौसम की बाधाओं से प्रभावित नहीं होगा, जिससे बरसात के मौसम में भी कृषि निगरानी संभव हो सकेगी।
नासा के वैज्ञानिक नरेंद्र दास ने कहा, "फसलों के लिए संसाधन प्रबंधन और सही समय पर निर्णय लेना सबसे महत्वपूर्ण है। बुआई और सिंचाई का सही समय क्या है? यही सबसे बड़ा सवाल है, और NISAR इस सवाल का जवाब देगा।"
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खाद्य सुरक्षा और फसल पूर्वानुमान में मदद
NISAR से प्राप्त डेटा से फसल उत्पादन का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। यह जानकारी भारत समेत दुनियाभर की सरकारों के लिए बेहद उपयोगी होगी, क्योंकि वे इससे फसल की बुवाई के क्षेत्रफल और उत्पादन का आंकलन कर सकेंगी। इसरो के वैज्ञानिक बिमल कुमार भट्टाचार्य ने बताया, "भारत सरकार या कोई भी सरकार फसल उत्पादन और कृषि क्षेत्र की सटीक जानकारी चाहती है। NISAR के उच्च-आवृत्ति वाले डेटा से हमें यह जानकारी सटीक रूप से मिलेगी।" यह उपग्रह चावल, गेहूं, मक्का जैसी फसलों की निगरानी करने और उनके उत्पादन में किसी भी संभावित संकट का पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगा।
मिट्टी की नमी की निगरानी करेगा उपग्रह
फसलों के स्वास्थ्य की निगरानी के साथ-साथ NISAR मिट्टी में नमी की स्थिति पर भी नजर रखेगा। इसकी रडार इमेजिंग तकनीक से यह पता लगाया जा सकेगा कि मिट्टी में कितनी नमी मौजूद है और क्या वह जल संकट से जूझ रही है।
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक रोवेना लोहमैन के अनुसार, "खाद्य सुरक्षा को लेकर योजना बनाने वाले नीति-निर्माता इस डेटा का उपयोग अपने पूरे क्षेत्र की कृषि स्थिति को समझने के लिए कर सकते हैं।" NISAR यह भी बताएगा कि सूखे या बारिश के बाद मिट्टी में पानी कैसे अवशोषित या रिलीज़ होता है, जिससे सिंचाई और जल प्रबंधन की बेहतर योजना बनाई जा सकेगी।
NISAR से किसानों को होंगे ये बड़े फायदे
बुआई और सिंचाई का सही समय पता चलेगा
फसल की सेहत और उत्पादन का अनुमान लगाया जा सकेगा
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझकर खेती को अनुकूल बनाया जा सकेगा
सरकारों को खाद्य सुरक्षा नीतियां बनाने में सहायता मिलेगी
खेती में डिजिटल क्रांति लाएगा NISAR
NISAR उपग्रह से भारतीय कृषि क्षेत्र को डिजिटल और वैज्ञानिक खेती की दिशा में बड़ा लाभ मिलेगा। यह उपग्रह कृषि की सटीक निगरानी करके किसानों को बेहतर उत्पादन और जल प्रबंधन के लिए सही निर्णय लेने में मदद करेगा। इस अभूतपूर्व पहल से भारत के किसान अधिक आत्मनिर्भर और जागरूक बन सकेंगे।
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