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मोदी के आलोचक ने भी माना- PoK वापस लाने की क्षमता सिर्फ पीएम मोदी के पास

अमेरिका में भारतीय डायस्पोरा से बातचीत के दौरान 'द पब्लिक इंडिया' के फाउंडर और मैनेजिंग एडिटर आनंद वर्धन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही PoK को वापस पाने की ताकत रखते हैं। वे मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता जबरदस्त है।

द पब्लिक इंडिया के फाउंडर और मैनेजिंग एडिटर और सोसायटी फॉर कम्युनल हार्मनी के उत्तर प्रदेश चैप्टर के प्रेसिडेंट आनंद वर्धन सिंह। / Courtesy Photo

द पब्लिक इंडिया के फाउंडर और मैनेजिंग एडिटर और सोसायटी फॉर कम्युनल हार्मनी के उत्तर प्रदेश चैप्टर के प्रेसिडेंट आनंद वर्धन सिंह इस समय अमेरिका के कई शहरों का दौरा कर रहे हैं। यहां वे भारतीय प्रवासी समुदायों से जुड़ रहे हैं और भारतीय पत्रकारिता की वैश्विक पहुंच का जायजा ले रहे हैं।

एक 30 मिनट से ज्यादा लंबे वीडियो पॉडकास्ट में आनंद वर्धन सिंह ने खुलकर अपनी बात रखी है। वे मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनका जनसमर्थन जबरदस्त है। आनंद तर्क देते हैं कि सिर्फ मोदी ही हैं जिनके पास पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस लेने की राजनीतिक ताकत है। आनंद सिंह साफ कहते हैं, 'अगर पीएम मोदी व्यावहारिक कदम उठाएं, तो पूरा देश राजनीतिक मतभेदों को भूलकर उनके साथ खड़ा होगा। लोग PoK वापस पाने के लिए आर्थिक मुश्किलें भी झेलने को तैयार हैं।

लेकिन आनंद इस बात की भी चिंता जताते हैं कि इतनी बड़ी चुनावी सफलता के बावजूद मोदी समूचे भारत के नेता कम, सिर्फ बीजेपी के नेता ज्यादा लगते हैं। वे कहते हैं कि चुनाव जीतने के बाद एक सच्चे नेता को पार्टी लाइन से ऊपर उठकर हर एक नागरिक का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। आनंद सिंह इसके लिए जवाहरलाल नेहरू और कुछ हद तक इंदिरा गांधी की राष्ट्रीय नेतृत्व शैली का उदाहरण देते हैं, जो सबको साथ लेकर चलती थीं।

आनंद वर्तमान राजनीति में जाति-धर्म के विभाजन पर ज्यादा जोर दिए जाने की कड़ी आलोचना करते हैं। उनका मानना है कि इससे भारत की लोकतांत्रिक और विकास की राह खतरे में पड़ सकती है।

वैकल्पिक नेतृत्व की बात करते हुए आनंद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की जमकर तारीफ करते हैं। उन्हें लगता है कि इस यात्रा ने राहुल गांधी को रातोंरात एक गंभीर राष्ट्रीय नेता बना दिया है। आनंद सिंह तारीफ करते हैं कि आज के दौर के नेताओं में राहुल गांधी सबसे अलग हैं। उनकी ईमानदारी, मुद्दों पर स्पष्टता और भारत के भविष्य का विजन लाजवाब है।

भारत और अमेरिका की तुलना करते हुए आनंद वर्धन जोर देते हैं कि लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए मजबूत संस्थानों और सामाजिक अनुशासन का निर्माण बहुत जरूरी है। अंत में वे अपील करते हैं कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र - भारत और अमेरिका - एक-दूसरे के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहें।

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