भारतीय मूल के फिजिशियन डॉक्टरों के ग्लोबल एसोसिएशन GAPIO का 12वां मध्य-वर्षीय सम्मेलन एंटीगुआ और बारबुडा में आयोजित हुआ। अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ एंटीगुआ कॉलेज ऑफ मेडिसिन (एयूए) कैंपस में आयोजित इस सम्मेलन में 55 देशों के डॉक्टर शामिल हुए।
इस सम्मेलन की थीम अपतटीय चिकित्सा शिक्षा के लाभ एवं चुनौतियां और हेल्थकेयर में हालिया प्रगति व चुनौतियां थी। सम्मेलन ने वैश्विक चिकित्सा पेशेवरों के लिए ज्ञान के आदान-प्रदान, मौजूदा रुझानों पर चर्चा और स्वास्थ्य सेवा में अभिनव प्रयोगों की संभावना के गतिशील मंच का कार्य किया।
अपतटीय चिकित्सा शिक्षा के लाभ और चुनौतियों पर विशेषज्ञों ने गहन विचार मंथन किया। इस दौरान अपतटीय चिकित्सा संस्थानों के फायदों और मुश्किलों पर चर्चा की गई। चर्चा के विषयों में चिकित्सा शिक्षा की वैश्विक पहुंच, प्रशिक्षण की गुणवत्ता, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में छात्रों के लिए उपलब्ध क्लीनिकल अनुभव और कैरिबियन में एयूए जैसे संस्थानों में चिकित्सकों की कमी के प्रभाव शामिल थे।
हेल्थकेयर में हालिया प्रगति पर चर्चा के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर विशेष जोर के साथ स्वास्थ्य सेवा में नवीनतम विकास पर सत्रों का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एआई किस तरह डायग्नोस्टिक्स, उपचार और रोगी देखभाल को बदल रहा है।
सम्मेलन में एयूए में ग्लोबल हेल्थ के एसोसिएट डीन डॉ. लेस्ली वाल्विन ने वैश्विक स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर एक सत्र की अगुआई की। वाल्विन ने बताया कि पर्यावरणीय परिवर्तन दुनिया भर में स्वास्थ्य परिणामों को कैसे प्रभावित कर रहे हैं और इन्हें कम करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान कई इंटरएक्टिव पैनल चर्चाओं का भी आयोजन किया गया। इसमें स्वास्थ्य वितरण के भविष्य और चिकित्सा में प्रौद्योगिकी की भूमिका आदि विषयों पर विशेषज्ञ चर्चा की गई।
जीएपीआईओ के उपाध्यक्ष डॉ. सुधीर पारिख ने कहा कि यह GAPIO का एक बेहतरीन मिडइयर सम्मेलन था। सम्मेलन बहुत जानकारीपरक साबित हुआ। एयूए का आतिथ्य बेहतरीन था। इसके लिए एयूए के नेतृत्व खासकर प्रेसिडेंट डॉ पीटर बेल और पूर्व प्रेसिडेंट नील साइमन को धन्यवाद।
बता दें कि जीएपीआईओ एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसका उद्देश्य भारतीय मूल के चिकित्सकों को एक मंच पर लाना है और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा के सुधार के लिए उनकी क्षमता का उपयोग करना है।
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