जॉन साइमन गुगेनहाइम मेमोरियल फाउंडेशन (John Simon Guggenheim Memorial Foundation) ने 2024 के क्लास ऑफ फेलो की घोषणा की है। इनमें चार भारतीय शामिल हैं। विभिन्न क्षेत्रों में इनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों को देखते हुए यह फेलोशिप प्रदान की गई है।
Bravo to the 2024 Fellows in the Creative Arts! Through their work, these composers, choreographers, artists, and writers are exploring incarceration, immigration, disability activism, and how humankind came to be. https://t.co/ggSDhNgDRi #guggfellows2024 pic.twitter.com/TLjNf7BKeS
— GuggenheimFoundation (@GuggFellows) April 11, 2024
इस प्रतिष्ठित फेलोशिप के लिए जिन भारतीयों को चुना गया है, उनमें नीता कुमार, सोनिया शाह, विवेक के. गोयल और हरि कृष्णन शामिल हैं। जॉन साइमन गुगेनहाइम मेमोरियल फाउंडेशन उन पेशेवरों को गुगेनहाइम फैलोशिप प्रदान करता है जिन्होंने प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, ह्यूमैनिटीज और रचनात्मक कलाओं के क्षेत्र में अपने कार्यों से असाधारण क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।
नीता कुमार एक इतिहासकार और शिक्षिका हैं। उन्होंने इतिहास में एजेंसी और न्याय को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, खासतौर से भारत में शिक्षा, लोकतंत्र एवं आधुनिकता को लेकर उनका काम उल्लेखनीय रहा है। वाराणसी में एक गैर-लाभकारी संगठन निर्माण के साथ नीता की भागीदारी शिक्षा एवं कला के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
सोनिया शाह एक खोजी पत्रकार और लेखक हैं। वह विज्ञान, मानव-पशु संबंधों और वैश्विक राजनीति के व्यावहारिक अन्वेषण को लेकर चर्चित हैं। उनकी कृति "द नेक्स्ट ग्रेट माइग्रेशन" और "पेंडेमिक" आदि को गहन शोध के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार और मान्यताएं मिल चुकी हैं। शाह का योगदान लेखन से परे भी है। वह गेस्ट लेक्चर, वार्ताओं और मीडिया में भी एक्टिव रहती हैं।
इलेक्ट्रिकल व कंप्यूटर इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ विवेक के. गोयल सिग्नल प्रोसेसिंग और कम्प्यूटेशनल इमेजिंग में माहिर हैं। उनका शोध लेटेस्ट इमेजिंग तकनीक और डेटा कंप्रेसन के तरीके विकसित करने पर केंद्रित है। गोयल के लेख कई जगहों पर प्रकाशित होते हैं। उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
हरि कृष्णन एक डांसर, कोरियोग्राफर और विद्वान हैं। वह समकालीन नृत्य रूपों और क्वीर विषयों में भरतनाट्यम के अभिनव मिश्रण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका कोरियोग्राफी का काम रूढ़िवाद को चुनौती देता है और परंपरा व आधुनिकता के मेल से सामाजिक न्याय के मुद्दों की पड़ताल करता है।
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