प्रवासी भारतीयों से जुड़े विषयों पर केंद्रित थिंक टैंक फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) के प्रेसिडेंट खांडेराव कांड ने कैपिटल हिल में हाल ही में हुए इंडिया एडवोकेसी डे समिट को प्रवासी भारतीयों और अमेरिका-भारत संबंधों के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया है।
खांडेराव कांड ने न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि समिट के दौरान FIIDS ने अमेरिका में 22 विभिन्न राज्यों के लगभग 140 प्रतिनिधियों की मेजबानी की। अमेरिका-भारत संबंधों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए निर्वाचित अधिकारियों के साथ दिन भर में हमारे 83 अपॉइंटमेंट्स थे। यह वाकई एक ऐतिहासिक दिन था।
खांडेराव ने बताया कि इस समिट के लिए हमारे प्रतिनिधि पिछले दो-तीन महीनों से तैयारी कर रहे थे और संबंधित मुद्दों पर शोध कर रहे थे। हमारे पास पांच विषय हैं। हमने अपने नीति पत्रों में इनसे जुडे़ सभी तथ्यों को प्रस्तुत किया है।
कांग्रेसनल आउटरीच के दौरान उठाए गए मूल मुद्दों में अमेरिका-भारत प्रौद्योगिकी निर्यात, रक्षा साझेदारी और चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्वाड) का विस्तार शामिल रहा। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और प्रतिस्पर्धी कार्यबल में चीनी प्रभुत्व के साथ संतुलन बिठाने पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा 7 प्रतिशत देशी ग्रीन कार्ड कोटा के प्रभाव पर भी चर्चा की गई, जिसके कारण भारतीयों के सामने काफी बैकलॉग पैदा हो गया है।
खांडेराव का कहना था कि ग्रीन कार्ड का बैकलॉग साल दर साल बढ़ रहा है और यह बढ़कर 40, 50 या 100 साल तक हो गया है। उन्होंने एच-1बी धारकों के बच्चों के सामने आने वाली चुनौती को भी रेखांकित किया, जिनके सामने 21 साल की उम्र का होने पर अपना लीगल स्टेटस खोने का जोखिम है।
समिट में धार्मिक भेदभाव और फोबिया पर भी अहम चर्चा हुई। खांडेराव ने कहा कि हमने कैलिफोर्निया नागरिक अधिकार विभाग की हालिया रिपोर्ट के बारे में बात की, जिसमें हिंदू विरोधी घटनाओं को दूसरे सबसे बड़े पूर्वाग्रह के रूप में बताया गया है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा तकनीकी प्रगति के लिए खनिजों के महत्व और इससे जुड़े संसाधनों पर चीन के कब्जे का मुकाबला करने के लिए मजबूत रणनीतिक ढांचे पर मंथन किया गया। ईवी, अंतरिक्ष और रक्षा सहित अन्य प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण खनिज महत्वपूर्ण हैं। इन खनिजों पर चीन का कब्जा अमेरिकी हितों के लिए बड़ा खतरा है।
इन मुद्दों पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया के बारे में खांडेराव ने कहा कि यह काफी सकारात्मक थी। अधिकारियों ने प्रतिनिधियों की मेहनत और नीति पत्रों की सराहना की। उन्होंने भविष्य में सहयोग के बारे में आशा व्यक्त करते हुए कहा कि सौभाग्य से FIIDS के पास अब वाशिंगटन डीसी में पूर्णकालिक कर्मचारी हैं, इसलिए हमें उम्मीद है कि हमें अपने प्रयासों में समर्थन मिलेगा और हम अमेरिका-भारत के बीच साझेदारी के लिए वास्तविक संसाधन बनने में सक्षम हो सकेंगे।
खांडेराव ने दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में भारत के राजनीतिक निरंतरता की अहमियत का जिक्र करते हुए कहा कि प्रमुख मंत्रालयों में पिछले नेतृत्व के साथ प्रधानमंत्री मोदी सरकार का बने रहना दीर्घकालिक संबंधों के लिए फायदेमंद है।
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