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अपशिष्ट से आय तक : आर्थिक और पर्यावरण लाभ के लिए भारत में एक अनूठी पहल

व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने भारत में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए अपने भागीदार ग्राम समृद्धि फाउंडेशन के अभिनव मॉडल का चयन किया है।

व्हील्स पार्टनर ग्राम समृद्धि फाउंडेशन, पश्चिम बंगाल द्वारा स्थापित एक बायोगैस संयंत्र। / Courtesy Photo
  • दीपिका चोपड़ा

भारत में लगभग 16 करोड़ किसान हैं। इनमें से 80 प्रतिशत छोटे और सीमांत हैं। इनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश गरीबी के दुष्चक्र में फंसे हुए हैं। ऐसे में उन्हें अपने जीवन स्तर में सुधार लाने और गरीबी कम करने के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता है। किसानों की स्थायी समृद्धि और पर्यावरण की बेहतरी को बढ़ावा देने के मिशन के साथ व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने भारत में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए अपने भागीदार ग्राम समृद्धि फाउंडेशन (GSF) के अभिनव मॉडल का चयन किया है जो पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक आयामों में कई लाभ प्रदान करता है।

जैविक अपशिष्ट यानी गाय के गोबर से उत्पादित बायोगैस एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो मीथेन को नियंत्रित करके और इसे उपयोगी ऊर्जा में परिवर्तित करके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम कर देता है। यह अपशिष्ट प्रबंधन में भी सहायता करता है और उप-उत्पाद के रूप में पोषक तत्वों से भरपूर उर्वरक का उत्पादन करता है। 

दरअसल, ग्रामीण परिवार अपनी ईंधन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एलपीजी सिलेंडर का खर्च वहन नहीं कर सकते। उनमें से कई को ईंधन के लिए पास के जंगलों में जाना पड़ता है और पेड़ों को काटना पड़ता है। इसमें काफी समय और मेहनत बर्बाद होती है। दूसरी ओर इनमें से अधिकांश घरों में गाय का गोबर आसानी से उपलब्ध है जिसका उपयोग कम होता है। इस कम उपयोग किए गए संसाधन को बायोगैस संयंत्रों की मदद से स्वच्छ और हरित ईंधन में परिवर्तित किया जा सकता है।

 बायोगैस एलपीजी की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हो सकती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां जैविक अपशिष्ट पदार्थों की पहुंच है और जहां दीर्घकालिक उपयोग पर विचार किया जाता है। एक सामान्य बायोगैस संयंत्र 14-15 किलोग्राम गैस का उत्पादन करता है जो 800 रुपये से 900 रुपये की लागत वाले एक एलपीजी सिलेंडर के बराबर है। इसके अतिरिक्त कचरे से तैयार खाद 2 एकड़ भूमि को उर्वर बना सकती है जिससे 10,000 रुपये की बचत होती है। इससे किसान को कुल 20,000 रुपये से 25,000 रुपये की वार्षिक बचत होती है जो उस किसान के लिए महत्वपूर्ण है। खासतौर से उसके लिए जिसकी वार्षिक आय 2 लाख रुपये से कम है।

हालांकि बायोगैस संयंत्रों को 30,000 रुपये से 40,000 रुपये के उच्च प्रारंभिक निवेश और नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है, जिससे पहले से ही कर्ज में डूबे भारतीय किसानों के लिए इसे वहन करना मुश्किल हो जाता है। राष्ट्रीय बायोगैस एवं उर्वरक प्रबंधन कार्यक्रम के तहत भारत सरकार सामान्य वर्ग को 14,000 रुपये और एससी/एसटी वर्ग को 22,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान करती है। प्लांट स्थापित करने की कुल लागत का 40 से 50 प्रतिशत है। बाकी लागत का इंतजाम करना किसान के लिए अब भी चुनौती है।

 व्हील्स पार्टनर ग्राम समृद्धि फाउंडेशन (GSF) एक एकीकृत ग्रामीण विकास पहल है जो एक बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से एक स्थायी ग्रामीण आजीविका के निर्माण की दिशा में काम करती है। उदार दानदाताओं के सहयोग से आज तक GSF ने भारत के पश्चिम बंगाल के कई गांवों में 165 बायोगैस संयंत्र स्थापित किए हैं।

व्हील्स आजीविका और स्थिरता में अवसर पैदा करने और ग्रामीण किसानों की आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के लिए प्रभावशाली पहल की खोज कर रहा है। GSF के सहयोग से व्हील्स इस अत्यधिक अनुकरणीय, सरल और आर्थिक रूप से शक्तिशाली मॉडल को अपने सामाजिक प्रभाव भागीदारों के विशाल नेटवर्क में पेश कर रहा है ताकि इसे पूरे भारत में बढ़ाया जा सके।

(लेख में व्यक्त विचार और राय लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे न्यू इंडिया अब्रॉड की आधिकारिक नीति या स्थिति को दर्शाते हों)

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