अमेरिका में अडानी ग्रुप की मुसीबतें आने वाले समय में और भी बढ़ सकती हैं। रिश्वतखोरी व धोखाधड़ी के आरोपों और समूह के संस्थापक गौतम अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट के बाद कई बैंक ग्रुप की फंडिंग रोकने की तैयारी कर रहे हैं। इससे ग्रुप की कंपनियों को अमेरिका में धन जुटाना मुश्किल हो सकता है।
सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि कुछ ग्लोबल बैंक अमेरिका में आरोपों के बाद अडानी ग्रुप की नई फंडिंग को रोकने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि इसका असर मौजूदा ऋणों पर नहीं पड़ेगा। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने आगाह किया है अडानी ग्रुप को अपनी बड़ी विकास योजनाओं के लिए इक्विटी और ऋण बाजारों में नियमित पहुंच की जरूरत है, लेकिन मौजूदा हालात में उसे कम खरीदार मिल सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू एवं कई अंतरराष्ट्रीय बैंक और बॉन्ड बाजार के निवेशक अडाणी की इकाइयों को एक समूह के रूप में देखते हैं और इस वजह से अपने कर्ज की सीमा फिर से तय कर सकते हैं। हालांकि रेटिंग वाली इकाइयों के पास तुरंत कोई ऋण परिपक्वता नहीं है।
अडाणी के दो वैश्विक ऋणदाताओं के सीनियर अधिकारियों ने माना है कि अमेरिका में लगाए गए आरोपों का अडानी ग्रुप को दिए गए कर्ज और उसकी वित्तीय स्थिति पर क्या असर होगा, इस बारे में चर्चा के लिए उनके पास संबंधित बैंकों से कई कॉल आए हैं।
रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स ने कहा है कि ग्रुप के ग्रीन एनर्जी बिजनेस के लिए फंडिंग को लेकर सबसे ज्यादा चिंता है। अडानी ग्रीन एनर्जी को लगभग 7 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है।
अमेरिकी अधिकारियों ने अडानी और सात अन्य अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना विकसित करने और ठेके हासिल करने के लिए भारत में अधिकारियों को मोटी रिश्वत दी और इस बात को अमेरिका में धन जुटाने के दौरान छिपाया। अडानी समूह ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें निराधार बताया है और कानूनी तरीके से हरसंभव जवाब देने का भरोसा दिलाया है।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इस मामले की वजह से अडानी ग्रुप ही नहीं, भारत की अन्य परियोजनाओं के लिए फंड की कमी हो सकती है। स्मार्टकर्मा पर एक स्वतंत्र विश्लेषक निमिष माहेश्वरी ने कहा कि भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र वैश्विक जलवायु लक्ष्य हासिल के लिए काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इस विवाद की वजह से उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
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