अर्लिंगटन में टेक्सास यूनिवर्सिटी (UTA) ने 13 दिसंबर को कॉलेज ऑफ साइंस स्नातक समारोह के दौरान 85 वर्षीय रमेश शर्मा को गणित में डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की। इस उल्लेखनीय उपलब्धि ने शिक्षा के प्रति शर्मा की आजीवन प्रतिबद्धता और भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने की उनकी इच्छा को रेखांकित किया है।
नरोवाल, पाकिस्तान में जन्मे और भारत के लुधियाना में पले-बढ़े, शर्मा ने 1967 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), मद्रास से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। नागरिक भारतीय नौसेना बलों में काम करने के बाद वह 1976 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आ गए जहां उन्होंने टेक्सस, मिशिगन और कनेक्टिकट में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में एक इंजीनियर के रूप में काम किया। फिर वह 1986 में फोर्ट वर्थ में बस गये।
शर्मा 2007 में UTA में अकादमिक क्षेत्र में लौट आए और 2014 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। अपने ज्ञान को गहरा करने की इच्छा से प्रेरित होकर उन्होंने पीएचडी करने का फैसला किया। UTA में गणित के प्रोफेसर टुनके अकतोसुन के मार्गदर्शन में गणित में शर्मा ने पीएचडी प्राप्त की। अपनी शैक्षणिक यात्रा के दौरान समर्थन के लिए उन्होंने हिस्टो कोजौहारोव, बेनिटो चेन और डॉ. माइकेला वैनक्लिफ सहित कई संकाय सदस्यों को श्रेय दिया।
अकतोसुन ने कहा कि रमेश सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षा के प्रति अपने समर्पण के कारण प्रेरणा रहे हैं। हालांकि वह अधिक आरामदायक गतिविधियों को चुन सकते थे। उनके अद्वितीय कार्य और जीवन के अनुभवों ने हमारे शोध में अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की।
समारोह के दौरान शर्मा को डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करने वाले गणित विभाग के अध्यक्ष जियानझोंग सु ने उनकी दृढ़ता की प्रशंसा की। सु ने कहा हमें रमेश की कड़ी मेहनत और समर्पण पर गर्व है। उनकी उपलब्धि आजीवन सीखने का एक प्रमाण है।
अपनी 51 वर्षीय पत्नी के साथ समारोह में शामिल हुए शर्मा ने अपनी सफलता के लिए अपने परिवार के अटूट समर्थन को श्रेय दिया। शर्मा ने कहा कि मैं शिक्षा में योगदान देने और दूसरों को प्रेरित करने की आजीवन प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद करने के लिए UT अर्लिंगटन का आभारी हूं।
भविष्य को देखते हुए शर्मा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी यात्रा जारी रखते हुए छात्रों को मार्गदर्शन देने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर मेरे शोध या प्रतिबद्धता से एक भी व्यक्ति को लाभ मिलता है, तो मेरा लक्ष्य पूरा हो जाएगा। वर्तमान में वह एक छात्र को उसकी पढ़ाई में सहायता कर रहे हैं, जो वापस देने के प्रति उनके समर्पण का उदाहरण है।
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