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मोदी की यात्रा से पहले... अमेरिकी सांसदों ने किया बाइडन काल के अडानी मामले की जांच का आग्रह

ट्रम्प-मोदी वार्ता से ठीक पहले छह प्रभावशाली कांग्रेसियों ने नवनियुक्त अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी से बाइडन प्रशासन के न्याय विभाग (DOJ) द्वारा भारत के अडानी समूह के 'हथियारयुक्त अभियोजन' की जांच का आग्रह किया है।

नवनियुक्त अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी / X@Pam Bondi

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की बैठक से ऐन पहले छह प्रभावशाली अमेरिकी कांग्रेसियों ने नवनियुक्त अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी से बाइडन प्रशासन के न्याय विभाग (DOJ) द्वारा भारत के अडानी समूह के 'हथियारयुक्त अभियोजन' की जांच का आग्रह किया है। 

10 फरवरी को लिखे एक पत्र में कानून निर्माताओं ने तर्क है कि अडानी अधिकारियों को दोषी ठहराने का न्याय विभाग का फैसला (आरोप पूरी तरह से भारत में आधारित होने के बावजूद) राजनीति से प्रेरित निर्णय लेने के बारे में चिंताएं पैदा करता है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाइयां अमेरिकी रणनीतिक और आर्थिक हितों के खिलाफ काम करने वाले बाहरी प्रभावों के साथ मिलकर अमेरिका-भारत संबंधों को खतरे में डाल सकती हैं।

पत्र में कहा गया है कि संभावित परिणामों को जानने के बावजूद बाइडन DOJ द्वारा चयनात्मक प्रयास इस मामले पर दोबारा नजर डालने की मांग करते हैं। इस मामले की वास्तविक प्रेरणाओं को समझना यह उजागर करने के लिए आवश्यक है कि क्या पिछले प्रशासन ने बाहरी संस्थाओं से समझौता किया था।

कांग्रेसी लांस गुडेन, पैट फॉलन, माइक हरिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर. टिमन्स और ब्रायन बाबिन द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में बॉन्डी से मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड की समीक्षा करने का आग्रह किया गया है।

अभियोग के मुखर आलोचक कांग्रेसी गुडेन ने इसे एक प्रमुख अमेरिकी सहयोगी पर 'लापरवाह हमला' कहा। उन्होंने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित मामला अमेरिका और भारत के बीच वर्षों की प्रगति को कमजोर करता है और वैश्विक निवेशकों को एक खतरनाक संदेश देता है। गुडेन ने पहले 7 जनवरी और फिर 14 जनवरी, 2025 को पूर्व अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर DOJ के समक्ष चिंता व्यक्त की थी।

कानून निर्माताओं का तर्क है कि DOJ का अडानी अधिकारियों का पीछा करना और वह भी अमेरिकी हितों पर किसी भी प्रत्यक्ष प्रभाव के बिना एक गुप्त उद्देश्य की ओर इशारा करता है। उनका दावा है कि भारतीय अधिकारियों को मामले को संभालने देने के बजाय DOJ ने आक्रामक रुख अपनाया।

कांग्रेसियों का पत्र इस बात पर जोर देता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के तहत अमेरिका-भारत संबंध मजबूत हुए हैं और दोनों नेता आर्थिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। कानून निर्माताओं ने चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने में भारत एक मूल्यवान सहयोगी रहा है मगर राजनीति से प्रेरित अभियोजन वर्षों की कूटनीति को नष्ट कर सकते हैं और चीन जैसे विरोधियों को लाभ पहुंचा सकते हैं।

वे आगे तर्क देते हैं कि अडानी जैसे प्रमुख निवेशकों को लक्षित करना, जिन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अरबों का योगदान दिया है, अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों को गलत संदेश देता है और राष्ट्रपति ट्रम्प के तहत अमेरिका के आर्थिक पुनरुत्थान को खतरे में डालता है।
 

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