अजय देवगन आज बॉलीवुड के एक कामयाब अभिनेता हैं। शायद तभी से जब से वे फिल्मी दुनिया में आये हैं उनका होना फिल्म की कामयाबी की गारंटी माना जाता है। अजय देवगन को अपनी पहली ही फिल्म से प्रसिद्धि मिलना शुरू हो गई थी। स्टंटबाजी के चक्कर में फिल्म फूल और कांटे में अजय देवगन की एंट्री भले ही हास्यास्पद रही लेकिन उसने लोगों का ध्यान खींचा। तब अजय को इसी की दरकार थी।
हालांकि उस समय आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान जैसे अभिनेताओं का जलवा था। अक्षय कुमार भी थे। इनके रहते बहुत कुछ पाना और कामयाब हो जाना आसान नहीं था लेकिन फिर भी अजय ने कमाल किया। लड़कियां उनपर मरती थीं।
अजय की पत्नी कालोज कुछ खुलासा करती हैं। बतौल काजोल अजय की शांत शख्सियत और भावपूर्ण आंखों के कारण उनके दिल में 'कुछ कुछ होता है' होने लगा था। बात नफरत से शुरू हुई और फिर दोस्ती पर आ गई और आखिर में रिश्ते में बदल गई। यानी अजय और काजोल की शादी हो गई। मगर उनकी जन्नत में शुरुआत में ही खलल पैदा हो गया।
अजय और काजोल की शादी 24 फरवरी 1999 में हुई। कुछ ही समय बात खबरें उड़ने लगीं कि काजोल की अपनी सास वीना से नहीं बन रही और अजय के कुछ अफेयर्स के चलते दोनों में दरारें पड़ गई हैं और शादी टूटने वाली है। मगर बहुत देर के बाद जब अजय ने चुप्पी तोड़ी तो उनके घर से खबर यही आई कि अजय और काजोल 2001 में अपना पहला बच्चा खो चुके हैं। हालांकि समय के साथ पति-पत्नी का यह दर्द जाता रहा क्योंकि बाद में न्यासा और युग ने जन्म लिया। यह अलग है कि मीडिया देवगन परिवार के इन बच्चों के प्रति सदाशय नहीं रहा। लेकिन एक चीज तय रही कि अजय ने हमेशा अपनी गरिमा बनाये रखी। दुख कितना भी बड़ा रहा अजय आखिर में 'सिंघम' बनकर निकले।
आज जो लोग देखते हैं वह यह है कि अजय के पास 32 पुरस्कार हैं। इनमें चार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, चार फिल्मफेयर पुरस्कार, एक जी सिने पुरस्कार और स्क्रीन और स्टारडस्ट पुरस्कारों में से प्रत्येक में चार पुरस्कार। अजय के पास 534 करोड़ की दौलत है। यह सब अजय की ताकत का परिचायक है। बेशक भौतिक अर्थों में। लेकिन इसे अर्जित करने में उनका कला कौशल तो रहा ही है। उन्होंने केवल अपना करियर ही नहीं बनाया बल्कि रोहित शेट्टी और हाकिम आलिम को भी फर्श से अर्श तक पहुंचाया।
अजय शराब और सिगरेट पीते हैं। यब बात किसी से छिपी हुई नहीं है। उनके डॉक्टरों से भी नहीं। इसीलिए अजय के डॉक्टर हैरत में रहते हैं कि इस सबके बावजूद वह इतने फिट कैसे रहते हैं। मगर अगर कोई अजय से कहे कि वह कैमरे के आगे अपने डोले-शोले दिखाएं तो जवाब आएगा नहीं। अजय का कहना है कि मैं पैक एब्स के लिए काम नहीं करता। बस शरीर सही दिखना चाहिए। यानी एक मजबूत शरीर एक मजबूत शरीर की तरह दिखना चाहिए। मेरा वर्कआउट इस बात पर निर्भर करता है कि मैं किस स्थिति में हूं। मैं खुद से पूछता हूं कि आखिर लक्ष्य तक पहुंचने की ऐसी जल्दी क्या है। यही अजय का चिंतन और दर्शन है। यानी अपनी गति से कछुए की तरह चलना और दौड़ जीतना।
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