भारत में ओम को भगवान का प्रतीक माना जाता है। ओम का ध्यान, इसका जाप करना भारत में सनातन काल से प्रचलित रहा है। पूजा-पाठ में कई मंत्र ओम से शुरू होते हैं। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, ओम के बिना इस ब्रह्मांड की कल्पना नहीं की जा सकती है। ओम के इसी महत्व को देखते हुए राजस्थान के पाली जिले के जादान गांव में ऊं के आकार का शिव मंदिर बन रहा है। यह मंदिर दुनिया का इकलौता ऊं के आकार का मंदिर है।
राजस्थान के पाली शहर में पवित्र प्रतीक 'ओम' के आकार का यह मंदिर अपने इस रूप की वजह से दुनिया का पहला मंदिर है। इसका वास्तुशिल्प न केवल पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है, बल्कि रिपोर्टों के अनुसार यह मंदिर अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है। 'ओम आकार' का यह मंदिर जादान में 250 एकड़ के विशाल परिसर में फैला हुआ है। 400 से अधिक लोग इसके निर्माण के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। रिपोर्टों के मुताबिक 1995 में मंदिर की आधारशिला रखी गई थी। इस साल इसके पूरा होने की उम्मीद है।
दुनिया भर में भक्तों द्वारा पूजनीय स्वामी महेश्वरानंद महाराज ने इस मंदिर को एक अभूतपूर्व वास्तुशिल्प उपलब्धि के रूप में प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह ओम के श्रद्धेय प्रतीक में आकार का दुनिया का पहला मंदिर होगा।
इस मंदिर का एक उल्लेखनीय पहलू यह है कि इसके पवित्र परिसर के भीतर देवाधिदेव महादेव की 1,008 मूर्तियों और 12 ज्योतिर्लिंगों को प्रतिष्ठित किया जाएगा। 135 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर के लिए 2,000 खंभे हैं। इसके परिसर में 108 कमरों का प्रावधान किया गया है। विशेष रूप से मंदिर परिसर की केंद्रीय विशेषता गुरु माधवानंद जी की समाधि है।
मंदिर के सबसे ऊपरी हिस्से में धौलपुर की बांसी पहाड़ी से मिले एक स्फटिक से तैयार किए गए शिवलिंग से सजाया गया एक गर्भगृह है। इसकी भव्यता को बढ़ाते हुए मंदिर परिसर के नीचे 2 लाख टन की क्षमता वाला एक विशाल टैंक का निर्माण किया गया है।
इस भव्य परियोजना के पीछे ओम आश्रम के संस्थापक विश्व गुरु महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी महेश्वर नंदा पुरीजी महाराज हैं। इस शानदार मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको जोधपुर हवाई अड्डे से लगभग 71 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 62 के पास स्थित जादान गांव जाना होगा। यात्री दिल्ली से अहमदाबाद के लिए ट्रेन भी ले सकते हैं और मंदिर जाने के लिए मारवाड़ जंक्शन तक पहुंच सकते हैं।
हिंदू धर्म में ओम महामंत्र के रूप में महत्व रखता है। ओम के आकार का यह मंदिर उत्तर भारत में प्रचलित नागर शैली में तैयार किया गया है, जिसमें ओम प्रतीक के साथ लगभग आधा किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ एक विशाल लेआउट है। यह डिजाइन क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और स्थापत्य विरासत को नया आकार देता है।
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