भारतीय हीरा व्यापार को अमेरिका की नई ट्रेड नीति से बड़ा झटका लग सकता है। क्रिसिल रेटिंग्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में भारत से प्राकृतिक हीरों का निर्यात 8-10% तक घट सकता है। इसकी प्रमुख वजह अमेरिका द्वारा प्राकृतिक हीरों पर लगाए गए 10% अतिरिक्त टैरिफ को बताया जा रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका भारत के प्राकृतिक हीरा निर्यात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा खरीदता है।
इस नए टैक्स ने उस उद्योग को और दबाव में डाल दिया है जो पहले से ही कमजोर वैश्विक मांग और लेब-ग्रो हीरों (LGDs) से बढ़ती प्रतिस्पर्धा से जूझ रहा है। लेब में तैयार ये हीरे प्राकृतिक हीरों जैसे दिखते हैं लेकिन उनकी कीमतें काफी कम होती हैं, जिससे बाजार में उनकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
क्रिसिल की रिपोर्ट में 43 डायमंड कंपनियों का विश्लेषण किया गया है, जो कुल उद्योग राजस्व का एक-चौथाई प्रतिनिधित्व करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि निर्यात से होने वाली आय पर असर पड़ेगा, लेकिन उद्योग की सतर्क इन्वेंट्री प्रबंधन रणनीति से ऑपरेटिंग मार्जिन और ऋण स्तर पर असर सीमित रहेगा।
पिछला वर्ष भी रहा कमजोर
वित्त वर्ष 2025 में भी भारत का प्राकृतिक हीरा निर्यात लगभग 17% घटकर 13.3 अरब डॉलर रह गया था। इसके पीछे चीन से कमजोर मांग और अमेरिका में LGDs की लोकप्रियता में तेजी जैसे कारण थे। हालांकि वित्तीय वर्ष के अंतिम तिमाही में टैक्स लागू होने से पहले निर्यात बढ़ाने की कोशिशें की गई थीं।
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मार्जिन पर दबाव, लेब-ग्रो हीरों से चुनौती
क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर राहुल गुहा ने कहा, "इस वित्त वर्ष में हीरों की कीमतें 3-4% तक सुधर सकती हैं क्योंकि उत्पादन में कटौती और सीमित इन्वेंट्री से दाम नीचे जाने से बचेंगे।" लेकिन LGDs के बाजार में उल्टा रुख देखने को मिल रहा है – पिछले साल जहां उनकी कीमत प्राकृतिक हीरों के एक-दसवें हिस्से तक थी, अब वह एक-बारहवें हिस्से तक गिर सकती है। इससे प्राकृतिक हीरों की मांग में 12-14% और गिरावट आ सकती है। यह लगातार तीसरा साल होगा जब मांग कमजोर बनी रहेगी। पिछले दो वर्षों में उद्योग को 32% की गिरावट झेलनी पड़ी थी।
पॉलिशर्स पर सबसे ज्यादा असर
क्रिसिल के डायरेक्टर हिमांक शर्मा ने बताया, "प्राकृतिक हीरा पॉलिशर्स आम तौर पर 4-5% के बेहद पतले मार्जिन पर काम करते हैं। ऐसे में वे नई टैरिफ लागत को ग्राहकों पर नहीं थोप पाएंगे। परिणामस्वरूप, पॉलिशिंग कंपनियों के मार्जिन इस साल 20-30 बेसिस पॉइंट घटकर 4.3-4.5% तक आ सकते हैं।"
वर्किंग कैपिटल को कुछ राहत
हालांकि कमजोर मांग से डायमंड उद्योग को कुछ राहत भी मिल सकती है। इन्वेंट्री स्तर इस साल और 5-7% तक घटने की संभावना है, जिससे कर्ज पर निर्भरता कम होगी। लेकिन कमजोर डिमांड, भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते एक्सपोर्ट पेमेंट्स (receivables) को लेकर जोखिम बना रहेगा।
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