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भारत में प्रदर्शन कर रहे किसानों के सपोर्ट में आगे आए अमेरिकी सिख संगठन

अमेरिकन गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (AGPC) और सिख कोऑर्डिनेशन कमिटी ईस्ट कोस्ट (SCCEC) की न्यूजर्सी में हुई बैठक में प्रस्ताव पारित करके भारतीय किसानों की एमएसपी जैसी मांगों को पूरा करने के भारत सरकार से आह्वान किया गया।  

भारत में पंजाब के किसान एक हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं। / साभार सोशल मीडिया

भारत में अपनी मांगों को लेकर पिछले एक हफ्ते से सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे किसानों को अमेरिका से भी समर्थन मिला है। अमेरिकन गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (AGPC) और सिख कोऑर्डिनेशन कमिटी ईस्ट कोस्ट (SCCEC) जैसे संगठन प्रदर्शनकारी किसानों के सपोर्ट में आगे आए हैं। 

अमेरिका के न्यूजर्सी में गुरुद्वारा दशमेश दरबार में हाल ही में सिख संगठनों में एक बैठक का आयोजन किया था। इसमें दिल्ली चलो का नारा देते हुए भारत में आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन की घोषणा की गई। संगठनों ने प्रस्ताव पास करके भारत सरकार से मांग की कि वह किसानों की एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी मांगों को पूरा करने के लिए कानून बनाए। इसके तहत एमएसपी में सभी लागत को कवर करते हुए 50 प्रतिशत अतिरिक्त प्रीमियम की व्यवस्था की जाए। एमएसपी कानून 23 फसलों पर लागू किया जाए।

सिख संगठनों की बैठक में एक अन्य प्रस्ताव पारित करके केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करने की मांग की गई। संगठन के नेता अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में टेनी के बेटे आशीष मिश्रा द्वारा कार से किसानों को कुचलने के मामले में पर्याप्त कार्रवाई न होने से नाराज हैं। ये किसान प्रदर्शन करके लौट रहे थे, उसी समय ये वारदात हुई थी। अमेरिकी सिख संगठनों ने लखीमपुर मामले में किसानों पर दर्ज सभी आपराधिक मामले वापस लेने की भी सरकार से मांग की। 

जानकारी के लिए बता दें कि मूल रूप से पंजाब के किसान इन दिनों अपनी करीब 12 मांगों को लेकर दिल्ली-हरियाणा सीमा पर पिछले कई दिनों से डेरा डाले हुए हैं। इन किसानों की प्रमुख मांगों में फसलों पर एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना आदि शामिल हैं। इस बार के आंदोलन में 50 से ज्यादा संगठन शामिल हैं। हालांकि जिन किसान संगठनों ने 2020 में कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली सीमा पर जोरदार प्रदर्शन किया था, वे इस बार आंदोलन से दूरी बनाए हुए हैं।

आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधियों की भारत सरकार के कई मंत्रियों के साथ चार दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार की तरफ से पांच साल तक पांच फसलों को एमएसपी पर खरीद के कॉन्ट्रैक्ट का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि किसान इस पर राजी नहीं है और वह 23 फसलों के लिए एमएसपी कानून पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शनकारी किसान इसे पिछले दरवाजे से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग लागू करने के प्रयास की तरह देख रहे हैं। 


 

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