भारत की मशहूर बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर अमेरिका में कर्मचारियों से भेदभाव का आरोप लगा है। अमेरिकी नागरिक रैंडी डेवोरिन ने टीसीएस पर रोजगार में भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्यवाही शुरू की है।
61 वर्षीय डेवोरिन ने अमेरिकी कोर्ट में दायर मुकदमे में आरोप लगाया है कि टीसीएस ने पुराने अमेरिकी कर्मचारियों को लेकर पूर्वाग्रह दिखाया जबकि भारतीय या दक्षिण एशियाई मूल के एच-1बी वीजाधारक कर्मचारियों और फ्रेशर्स का फेवर किया। उन्होंने भेदभाव के आरोपों की असलियत परखने के लिए जूरी से जांच कराए जाने का अनुरोध किया है।
शिकायत के अनुसार, डेवोरिन को जुलाई में उनकी टीम को भंग करने के बारे में बताया गया था। उनसे कहा गया था कि वह एक प्रोजेक्ट में कंसलटेंट के पद के लिए सीधे आवेदन कर सकती हैं। डेवोरिन का आरोप है कि उन्होंने आवेदन दाखिल किए, कई ईमेल भी किए, लेकिन इसके बावजूद उनके आवेदन पर शुरुआती स्टेज से आगे विचार नहीं किया गया।
उनका आरोप है कि रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप ने जानबूझकर उनके रास्ते में बाधाएं डालीं। इसके उलट, एक युवा भारतीय सहयोगी को बहुत जल्दी अहम भूमिका दे दी गईं। उसे कई ऑफर भी दिए गए जबकि डेवोरिन को ऐसा एक भी ऑफर नहीं दिया गया था।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, दिसंबर के अंत से समान रोजगार अवसर आयोग (ईईओसी) में कम से कम 22 पेशेवर ऐसी शिकायतें दर्ज करा चुके हैं। इसी के बाद ये कानूनी कार्यवाही शुरू की गई है। इन अनुभवी अमेरिकी पेशेवरों का आरोप है कि टीसीएस ने अचानक उनकी नौकरी खत्म कर दी और उनकी जगह एच-1बी वीजा पर भारत से लाए गए कर्मचारियों को नियुक्त कर दिया।
याचिका में दावा किया गया है कि नौकरी से निकाले गए 14 ग्लोबल मैनेजिंग पार्टनर्स में से तीन इंडियन ग्लोबल मैनेजिंग पार्टनर्स को अलग-अलग भूमिकाओं में फिर से नौकरी पर रख लिया गया, जबकि अन्य को रिटेन नहीं किया गया। कर्मचारियों का आरोप है कि अमेरिकियों को नौकरी पर रखने में कंपनी ने भेदभाव किया है।
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