अमेरिका में इस साल अब तक भारतीय और भारतीय मूल के 11 छात्रों की मौत हो चुकी है। वहीं, इन तमाम दुखद खबरों के बीच एक प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी शिक्षाविद ने सोमवार को कहा कि अमेरिका भारत के छात्रों के लिए लगातार बेहतर माहौल पेश कर रहा है। हालांकि इन मौतों पर अभी तक कोई पैटर्न स्थापित नहीं किया गया है, लेकिन यहां भारतीय राजनयिक मिशनों ने भारतीय छात्रों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना शुरू कर दिया है। इसमें छात्रों, छात्र संघों के साथ नियमित संवाद, छात्रों के लिए अपडेटेड गाइडलाइंस शामिल हैं।
वर्जिन में जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग के डिविजनल डीन गुरदीप सिंह का कहना है कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस साल भारतीय छात्रों की मौत की घटनाएं हुईं, और इसमें बढ़ोतरी हुई है। इसलिए, माता-पिता सही मायने में चिंतित हैं। मेरा मतलब है, अगर मैं एक अभिभावक होता और मेरा बच्चा दूसरे देश में होता, तो मैं निश्चित रूप से इसके बारे में चिंतित होता। लेकिन इसमें किसी भी तरह का कोई रिलेशन नहीं है। यह अचानक किसी भी हेट क्राइम होने के होने के कारण नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं ज्यादा चिंतित होता अगर यह कोई खास विश्वविद्यालय में होता जहां एक के बाद एक तीन या चार घटनाएं हुई होतीं। तो फिर इसमें एक तरह से एक पैटर्न नजर आता। लेकिन मेरी जानकारी में मुझे भारतीय छात्रों के खिलाफ हेट क्राइम या ऐसी किसी चीज का कोई कारण नहीं दिखता। हालांकि सिंह ने कहा कि भारतीय छात्रों को ऐसी घटनाओं के बारे में अधिक सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है।
इस बात पर रोशनी डालते हुए कि विश्वविद्यालयों का स्थान भी महत्वपूर्ण है। कुछ स्थान केवल इसलिए अधिक बदनाम हैं क्योंकि उन स्थानों पर अपराध दर दूसरों की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की तरह, कुछ ऐसे शहर हैं जहां अपराध दर अन्य की तुलना में अधिक होती है। लेकिन कम से कम अमेरिका में कई विश्वविद्यालय या शहर ऐसे हैं, जो बहुत सुरक्षित हैं।
इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन की ओपन डोर्स रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या 2014-2015 में 1,32,888 से लगभग तीन गुना बढ़कर 2024 में 3,53,803 हो गई है। यहां भारतीय दूतावास विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ काम कर रहा है जिससे परिसरों में भारतीय मूल के प्रोफेसरों का नेटवर्क स्थापित किया जा सके। यह किसी भी जरूरी स्थिति से निपटने के लिए स्वैच्छिक आधार पर स्थापित किया जा रहा है।
सिंह ने कहा कि शायद छात्रों में चिंता का एक अतिरिक्त स्तर है क्योंकि नौकरी का बाजार पिछले वर्ष जितना अच्छा नहीं है। सिंह ने कहा कि अमेरिका एक स्वागत करने वाला देश है और यहां बहुत अवसर हैं। छात्रों को मेरा संदेश है कि वे अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित रखें, धैर्य रखें और अपने प्रयासों में लगातार बने रहें।
गैर-लाभकारी संस्था 'HinduAction' के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने इस साल 11 भारतीय छात्रों की मौत पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि पिछले कुछ महीनों में हमारे पास पहले ही 11 मामले आ चुके हैं। एफबीआई और न्याय विभाग मौतों के पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करें और जांच करें कि क्या कारण हैं और देखें कि इन तमाम मौतों के बीच कोई संबंध है या नहीं।
उत्सव का कहना है कि हम एक समुदाय के रूप में वास्तव में चिंतित हैं और यह कुछ ऐसा है जो अतीत में नहीं हुआ है और इसलिए इन मौतों की अधिक विस्तृत जांच की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि यह अमेरिका में हिंदुओं के खिलाफ एक बड़े अभियान का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कुछ मामले सामने आए हैं जहां परिसरों में छात्रों को परेशान किया गया है। HinduAction के रूप में हमें उम्मीद है कि इन मौतों की जांच होगी।
कास्ट गेट की एक डेटा एनालिटिक्स टीम ने एक बयान में कहा कि भारतीय छात्रों की मौतों के पीछे एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति दिखती है। इसमें कहा गया है कि 15 जनवरी से पांच फरवरी तक महज तीन सप्ताह में अमेरिका में भारतीय मूल के सात छात्रों की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। भारतीय दूतावास और संयुक्त राज्य अमेरिका में सभी छह वाणिज्य दूतावासों ने नियमित रूप से छात्र संघों के साथ बातचीत की है।
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