भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से कारसेवा का कार्य भी प्रभावित हुआ है। पाकिस्तान में ऐतिहासिक गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार और रखरखाव के लिए गए कार सेवा गुरु के बाग के प्रतिनिधियों का एक दल काम बीच में ही छोड़कर भारत वापस लौट आया है।
कारसेवा गुरु के बाग के प्रमुख बाबा सतनाम सिंह और बाबा महाल सिंह शुक्रवार को अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत लौट आए। उनकी अचानक वापसी श्रीनगर के पहलगाम में भारतीय पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच हुई है।
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भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध तोड़ते हुए उसके नागरिकों को 48 घंटे के भीतर वापस लौटने का निर्देश दिया है। साथ ही बरसों पुरानी सिधु जल संधि भी स्थगित कर दी है।
बाबा महाल सिंह ने बताया कि उन्हें दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमिशन से एक साल तीन महीने का वीजा मिला था। वह 23 मार्च को पाकिस्तान गए थे। वहां उनकी टीम ने श्री ननकाना साहिब के गुरुद्वारा तंबू साहिब, लाहौर के गुरुद्वारा शहीद सिंह सिंघनिया और ननकाना साहिब में गुरुद्वारा बाल लीलाजी में सेवा कार्य किया।
बाबा ने चिंता जताई कि अगर दोनों देशों के रिश्ते ऐसे ही तनावपूर्ण बने रहे तो पाकिस्तान में स्थित इन ऐतिहासिक गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार और रखरखाव का कार्य बुरी तरह प्रभावित होगा।
पाकिस्तान में स्थित ये गुरुद्वारे सिख समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र स्थल हैं लेकिन वर्षों से उपेक्षा के कारण इनकी हालत खराब हो गई है। कार सेवा संगठन पिछले कई दशकों से समय-समय पर वहां जाकर सेवा करते रहे हैं।
फिलहाल दोनों देशों के बीच तनाव की वजह से सिख प्रतिनिधियों को अपनी कार सेवा रोकनी पड़ी है। उम्मीद है कि स्थिति सामान्य होने पर फिर से जीर्णोद्धार कार्य शुरू होगा।
इस बीच, सिख संगठनों ने सरकार से मांग की है कि वह पाकिस्तान में सिख धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर कदम उठाए।
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