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एक अप्रत्याशित सत्य घटना!

हम सभी हवाई यात्रा की थकाऊ औपचारिकताओं से परेशान हो जाते हैं। पर कदम-कदम पर हो रही औपचारिकताएं निरर्थक नहीं होती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण यह घटना है

हीथ्रो एयरपोर्ट...सांकेतिक / X@ Heathrow Airport
  • अलका खंडेलवाल

यात्रा करना हम सभी के जीवन का हिस्सा है। कभी हवाई जहाज से, कभी ट्रेन से और कभी गाड़ी द्वारा। सभी साधनों के अपने फायदे और नुकसान हैं, साथ ही मजे और तकलीफें भी हैं। हम सभी के समय-समय पर यात्रा संबंधी कुछ खट्टे-मीठे अनुभव रहे होंगे। मैं आज आपसे हमारे परिचित के साथ हुई एक घटना साझा करने जा रही हूं।

यह घटना हम सबके लिए एक मजेदार घटना हो सकती है पर जो इस परिस्थिति में थे उनकी आपबीती जब इस कहानी के माध्यम से आप जानेंगे तब यही कहेंगे कि हम कभी ऐसे न फंसें। 

सभी हवाई यात्रा करते हैं और यदा-कदा व्हीलचेयर का उपयोग भी करते हैं। पर इस वजह से मसालेदार यात्रा का होना एक असामान्य घटना है। हमारे परिचित अपनी पत्नी के साथ सैन फ्रांसिस्को से हीथ्रो, लंदन होते हुए भारत लौट रहे थे। उन्होंने अपने और अपनी पत्नी के लिए व्हीलचेयर सुविधा के लिए अनुरोध किया था।

हीथ्रो हवाई अड्डे पर उनके पास 2 घंटे का समय था। लंदन हवाई अड्डे पर उतरने के बाद व्हीलचेयर के लिए उन्हें आधे घंटे तक कतार में लगना पड़ा। प्रतीक्षारत यात्री बहुत अधिक थे और उनके पास व्हीलचेयर बहुत कम थीं, जिसकी वजह से व्हीलचेयर वालों को चक्कर लगाने पड़ रहे थे। एक व्हीलचेयर अटेंडेंट उन्हें उनकी बारी पर प्री-सिक्योरिटी कियोस्क पर ले गया और कहा कि वह जल्द ही आयेगा और उन्हें आगे ले जाएगा। उनके लंदन से दिल्ली तक के बोर्डिंग पास भी उसने अपने पास ही रख लिए थे।

लेकिन हीथ्रो हवाई अड्डे पर एक डरावनी कहानी उनका इंतजार कर रही थी। वह व्हीलचेयर वाला व्यक्ति जिसने उन्हें प्री-सिक्योरिटी कियोस्क पर छोड़ा था कभी वापस नहीं आया और वे चिंतित हो उसका इंतजार करते रहे। समय बीतता जा रहा था और वे लगभग एक घंटे तक प्री-सिक्योरिटी कियोस्क पर फँसे रहे। अगली फ्लाइट का समय भी होता जा रहा था।

डिस्प्ले बोर्ड पर उनकी उड़ान का बोर्डिंग टाइम नजदीक दिखा रहा था। कनेक्टिंग फ्लाइट छूट न जाए, इस सोच से चिंतित थे। अचानक उन्हें अपने बेटे द्वारा दिए वेब चेक इन बोर्डिंग पासों का ख्याल आया और उन्होंने उसके प्रिंट आउट अपने बैग से निकाले। ऐसे भयानक संकट और विषम परिस्थिति में ये उनके लिए सबसे बड़ी मदद थी।
 
उन्होंने सुरक्षा जांच में जाने के लिए अपने प्रिंटआउट दिखाए। सुरक्षा गेट पर महिला प्रभारी ने कहा कि इन बोर्डिंग पासों की पहले ही जांच की जा चुकी है। उनके पासपोर्ट देखने के बाद, आश्चर्यचकित होकर, उसने उन्हें सुरक्षा जांच के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दे दी।

हमेशा की तरह सुरक्षा बहुत सख्त थी। सुरक्षा के बाद बग्गी उन्हें बोर्डिंग काउंटर पर ले गई,जहां एक बार फिर अटेंडेंट महिला पूरी तरह से चकित हो गई कि वे चेक इन क्यों कर रहे हैं? पूछा कि क्या उन्होंने पहले चेक इन नहीं किया है? उन्होंने कहा कि उनके मूल बोर्डिंग पास अभी भी व्हीलचेयर रोलिंग व्यक्ति के पास हैं, जिसने कहा था कि वह उन्हें आगे ले जाने के लिए आएगा लेकिन उसके बाद वह कभी वापस नहीं आया। उनके पासपोर्ट और अपने उपकरणों के साथ कई जांचों के बाद आखिरकार सुरक्षाकर्मी ने उन्हें बोर्डिंग की अनुमति दे दी। 

जैसे ही वे प्लेन में चढ़े एक और अप्रत्याशित घटना उनका इंतजार कर रही थी। उनकी सीट नंबर 64बी और 64सी पर पहले से ही दो लोग बैठे थे। एक सरदारजी और एक महिला। सरदारजी ऊपर सामान रखने वाली जगह के लिए एक अन्य वरिष्ठ महिला से झगड़ रहे थे। जब वे शांत हो गए तो इन्होने सरदार जी को सीट नंबर के साथ अपने प्रिंटआउट दिखाए और दावा किया कि वे सीटें इनकी हैं। लेकिन सरदारजी ने उन्हें समान सीट नंबर वाले बोर्डिंग पास की हार्ड कॉपी दिखाई। ये आश्चर्यचकित रह गए और इन्होंने एयरहोस्टेस अटेंडेंट से मदद करने को कहा। 

एयर होस्टेस हैंडहेल्ड डिवाइस लेकर आई और सरदारजी से पूछा, क्या आप आर. के. गुप्ता हैं? उसने कहा- नहीं, मैं जरनैल सिंह हूं और अगली सीट पर मेरी पत्नी है। एयर होस्टेस ने पूछा क्या उनका नाम कला गुप्ता है? सरदारजी ने कहा नहीं वह हरमिंदर कौर है। अटेंडेंट ने सरदारजी से बोर्डिंग कार्ड लिया और बोर्डिंग कार्ड की हार्ड कॉपी पर आर. के. गुप्ता और कला गुप्ता नाम पढ़े। ये उनके ही बोर्डिंग पास थे जो सरदारजी ने व्हीलचेयर चलाने वाले व्यक्ति से लिए थे। 

फिर सरदारजी के अपने बोर्डिंग पास जो उनके पास ही थे, की हार्ड कॉपी निकाली। उन बोर्डिंग पासों पर अलग-अलग सीट नंबरों के साथ उनकी और उनकी पत्नी के नाम दर्ज थे। उन्हें अपनी आवंटित सीटों 45बी और सी पर स्थानांतरित होने के लिए कहा गया।

अन्य वरिष्ठ महिला भी यह देखकर खुश हुई कि सरदारजी को अपना सामान हटाना पड़ रहा है। वे अपनी सीटों पर चले गए। हमारे परिचितों को अपने सामान टैग के साथ उनके अपने बोर्डिंग पास की मूल हार्ड कॉपी मिल गई थी और वे अपनी आवंटित सीटों पर बेदाग़ बैठे गए। 

तो अब आप सभी समझ ही चुके होंगे कि असल में क्या हुआ होगा? व्हीलचेयर वाला व्यक्ति प्री सिक्योरिटी कियोस्क पर लौटा और अपने मूल यात्री जोकि हमारे परिचित और उनकी पत्नी थीं, की जगह सरदार जी और उनकी पत्नी को परिचितों के हार्ड बोर्डिंग पासों के साथ प्लेन पर चढ़ा गया।

जल्द ही सरदारजी और उनकी पत्नी के नामों की घोषणा लापता यात्रियों के रूप में की गई, क्योंकि एयरलाइंस के अनुसार उन दोनों की बोर्डिंग अभी तक नहीं हुई थी जबकि वे प्लेन के अंदर ही थे! तो यह थी 'हीट थ्रो' (Heathrow) की नरम गरम मसालेदार घटना।

हम सभी हवाई यात्रा की थकाऊ औपचारिकताओं से परेशान हो जाते हैं। पर कदम-कदम पर हो रही औपचारिकताएं निरर्थक नहीं होती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण यह घटना है। 

सुरक्षा जाँच में जाने से पहले प्री-सिक्योरिटी कियोस्क पर अधिकारी हमारे बोर्डिंग पास की पुष्टि हमारे पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस (पर्सनल ID) के साथ करते हैं। यदि सरदार जी के बोर्डिंग पास की पुष्टि में चूक नहीं होती तो यह घटना भी घटित नहीं हुई होती और सभी के लिए यह सफ़र बिना किसी अड़चन सुखदायी होता।
 
दूसरे व्हीलचेयर वाले व्यक्ति ने यदि अपना काम सावधानीपूर्वक किया होता और अपने मूल यात्री की जगह दूसरे यात्री को न ले गया होता तो भी यह घटना घटित न होती। हम सभी को यात्रा के समय सचेत रहने और अनुभवों से सीख लेने की आवश्यकता है।

(अलका खंडेलवाल एक्रन, ओहायो में रहती हैं। अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति (उत्तर पूर्व ओहायो शाखा) से कई वर्षों से जुड़ी हैं। आने वाली पीढ़ियों को हिन्दी से जोड़ना तथा हिन्दी जानने वालों को हिन्दी से जोड़े रखना इनका उद्देश्य है। पिछले वर्षों में समिति के विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं देती रही हैं) 

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