भारतीय संगीतकार अनुपम शोभाकर सरोद में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। यह एक पारंपरिक उत्तर भारतीय स्ट्रिंग वाद्य यंत्र है। उनका नवीनतम एल्बम 'लिक्विड रियलिटी' होली के पारंपरिक हिंदू त्योहार के दौरान 14 मार्च को रिलीज होने के लिए तैयार है। इसमें पश्चिमी गिटार परंपराओं के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत का मिश्रण है। इसके लॉन्च का जश्न मनाने के लिए शोभाकर 10 अप्रैल को न्यूयॉर्क शहर में एक विशेष संगीत कार्यक्रम करेंगे।
इस एल्बम में अनुपम का अनोखा अंदाज साफ दिखता है। उन्होंने सरोद और इलेक्ट्रिक गिटार के सुरों को एक साथ पिरोया है। वो इंडियन क्लासिकल म्यूजिक को जैज, रॉक और फ्यूजन के साथ मिलाने के लिए जाने जाते हैं, जिससे एक अनोखा और आधुनिक संगीत अनुभव पैदा होता है।
भारत के मुंबई में पले-बढ़े अनुपम को एडी वैन हालेन और जो सैट्रिएनी जैसे गिटार दिग्गजों के साथ-साथ उस्ताद अली अकबर खान जैसे इंडियन क्लासिकल म्यूजिक के उस्ताद ने भी प्रेरित किया। इंडियन क्लासिकल म्यूजिक और वेस्टर्न रॉक के प्रति उनका प्यार देखकर उन्होंने एक खास तरह का डबल-नेक गिटार बनवाया – एक फ्रेटेड और एक फ्रेटलेस – जिससे वो इन अलग-अलग म्यूजिकल स्टाइल्स को एक साथ मिला सकें।
'लिक्विड रियलिटी' एल्बम की शुरुआत 'आंजनेय' से होती है। ये एक बहुत ही जबरदस्त ट्रैक है, जिसमें साउथ इंडियन ताल है। इसमें तालवादक स्वामीनाथन सेल्वागणेश और जैज ड्रमर सातोशी ताकीशी ने भी अपना योगदान दिया है।
'फॉर्मलेस एक डुएट है जिसमें अनुपम अपने खास गिटार पर और स्वामीनाथन सेल्वागणेश को कंजीरा पर दिखाया गया है। ट्रैक जटिल लय के साथ पश्चिमी और भारतीय संगीत विचारों को मिश्रित करता है, जिससे दोनों कलाकारों के बीच एक जीवंत और व्यक्तिगत आदान-प्रदान होता है।
अनुपम ने शक्ति के क्लासिक ट्रैक 'ला डान्स डू बोनहुर' को भी नए रूप में पेश किया है। ये गाना 1976 में जॉन मैकलॉघ्लिन और एल. शंकर ने बनाया था। अनुपम ने इसे सीधे-सीधे कॉपी करने की बजाय अपना अनोखा अंदाज दिखाया है और इसमें मॉडर्न असर भी डाला है। ब्रुकलिन के रहने वाले भारतीय पियानोवादक उत्सव लाल के साथ मिलकर उन्होंने इसमें नए कॉर्ड्स और हारमोनिस जोड़े हैं। बीच में एक नई रचना भी डाली है, जिससे ये गाना पूरी तरह से उनका अपना बन गया है।
शोभाकर का शक्ति से नाता बहुत गहरा है। वह सेल्वागणेश के साथ घनिष्ठ मित्रता साझा करते हैं, जिनका परिवार पीढ़ियों से शक्ति के संगीत का केंद्र रहा है। अपने सहयोगी के समृद्ध संगीत वंश का हवाला देते हुए शोभाकर कहते हैं, वह इस संगीत को बजाने के लिए ही पैदा हुए हैं।
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