केंटुकी (Kentucky) यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ डिजाइन और लुईस ऑनर्स कॉलेज में पढ़ने वाली भारतीय मूल की छात्रा प्रिषा पटेल को 2025-26 के लिए गेन्स फेलोशिप मिल गई है। बारह अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स में से प्रिषा को ये प्रतिष्ठित गेन्स फेलोशिप प्रोग्राम इन ह्यूमैनिटीज में चुना गया है। ये फेलोशिप उन स्टूडेंट्स को मिलती है जिनकी पढ़ाई में काबिलियत है, जो रिसर्च में अच्छे हैं और जो समाज की समस्याओं को सुलझाने में दिलचस्पी रखते हैं।
प्रिषा ने खुशी का इजहार करते हुए कहा, 'गेन्स फेलोशिप मिलना वाकई बहुत बड़ा सम्मान है। खासकर पहली पीढ़ी के स्टूडेंट होने के नाते मैं बहुत खुश और गौरवांन्वित हूं। मेरी मां हमेशा कहती थीं, ‘कुछ भी मुमकिन है’, और इसी सोच ने मुझे आगे बढ़ाया है। ये फेलोशिप इसी बात की मिसाल है। मुझे उम्मीद है कि इस अनुभव से मुझे आर्किटेक्चर की पढ़ाई और इसमें एक-दूसरे से जुड़े पहलू के इस्तेमाल की गहरी समझ मिलेगी। मैं अपने साथियों, प्रोफेसर्स और बाहर के लोगों, सबके साथ मिलकर काम करने के लिए बहुत उत्सुक हूं।'
प्रिषा ने अपनी खुशी LinkedIn पर शेयर करते हुए लिखा, 'मैं ये बताकर बहुत खुश हूं कि मुझे केंटुकी (Kentucky ) यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित गेन्स फेलोशिप प्रोग्राम के लिए चुन लिया गया है। ये फेलोशिप अच्छी पढ़ाई, अपने दम पर रिसर्च करने की काबिलियत, समाज की समस्याओं को सुलझाने की जिम्मेदारी और इंसान की जिदगी को ह्यूमैनिटीज के जरिए बेहतर समझने की चाह रखने वालों को मिलती है। गेन्स सेंटर फॉर द ह्यूमैनिटीज का ये प्रोग्राम बहुत ही मुश्किल है। हर साल महज बारह अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स को ही चुना जाता है। मुझे इस मौके पर बहुत खुशी हो रही है और अगले दो सालों के लिए मैं बहुत उत्साहित हूं।'
गेन्स फेलोशिप दो साल का प्रोग्राम है जिसमें कड़ी पढ़ाई, खुद से रिसर्च करना और कम्युनिटी पर केंद्रित प्रोजेक्ट शामिल है। अपने आखिरी साल में फेलोज को अपनी थीसिस पूरी करनी होती है। जिसका डिफेंड उन्हें प्रोफेसर्स के सामने करना पड़ता है। पढ़ाई के अलावा, इस प्रोग्राम में फील्ड ट्रिप्स, लेक्चर्स और और भी कई मजेदार गतिविधियां होती हैं।
1984 में बने गेन्स सेंटर फॉर द ह्यूमैनिटीज में अलग-अलग फील्ड्स की पढ़ाई और लीडरशिप डेवलपमेंट पर जोर दिया जाता है। एक फेलो के तौर पर प्रिषा अपनी अकादमिक और सोशल सोच को और बढ़ाने वाले कई अनुभव हासिल करेंगी।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login