अमेरिका के चुनाव में अब चार सप्ताह से भी कम समय शेष है। डेमोक्रेट कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मुकाबला कांटे का बताया जा रहा है। इसी के साथ यह भी देखा और बताया जा रहा है कि अब से एक महीना पहले राष्ट्रपति पद के लिए दोनों उम्मीदवारों के बीच हुई डिबेट हैरिस के पक्ष में कुछ रंगत दिखाने लगी है। बेशक, चुनावी रंगत 10 सितंबर को हुई डिबेट के बाद से ही हैरिस के समर्थन में बदली है। इसलिए क्योंकि उसमें हैरिस पूर्व राष्ट्रपति पर भारी पड़ी थीं, ऐसे दावे किये गये। हैरिस के समर्थन में चली बयार का असर इस रूप में देखा जा सकता है कि त्योहारों के इस मौसम में एशियाई और दक्षिण एशियाई मूल के लोग डेमोक्रेट्स के समर्थन में जुटने लगे हैं। त्योहारी हुजूम में इन समुदायों के लोगों के अलावा युवतियां और महिलाएं भी अच्छी संख्या में हैं। शायद वे राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैरिस की गर्भपात जैसी महिला हितैषी नीतियों के चलते उनकी ओर झुकाव रखती हों। अलबत्ता, एशियाई और दक्षिण एशियाई मूल के लोग हैरिस में 'अपने' उम्मीदवार का अक्स देख रहे हैं। इस बीच खबर है कि रिपब्लिकन ट्रम्प ने चुनाव से ऐन पहले एक और डिबेट का प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया है कि अब इसमें 'बहुत देर' हो चुकी है।
आपको ध्यान होगा कि पिछले महीने जो डिबेट हुई थी उसके शुरू होने से पहले ही आयोजक चैनल ने दूसरी डिबेट का प्रस्ताव ट्रम्प अभियान के पास भेज दिया था। 'दूसरी भिड़ंत' की आस में बहुत कुछ तैयारी भी कर ली गई थी। लेकिन बहस के अगले ही दिन मीडिया में माहौल देखने के बाद पूर्व राष्ट्रपति ने खुद को पहली डिबेट का विजेता घोषित करते हुए अगले 'मुकाबले' की पेशकश से कदम पीछे खींच लिए थे। लेकिन दूसरी डिबेट से इनकार किसी भी स्थिति में ट्रम्प के पक्ष में तो नहीं जा सकता। यह इनकार संदेश दे सकता है कि वे शायद उसका नतीजा 'जान' गये हैं। हालांकि चुनाव से ठीक पहले ट्रम्प 'दूसरी हार' का जोखिम नहीं उठा सकते यह भी सही है। किंतु यदि वे खुद को पहली डिबेट का विजेता मानते हैं तो उन्हे एक और मुकाबले से इनकार नहीं करना चाहिए था। खैर, इसे लेकर अब कयास लगाना भी ठीक नहीं क्योंकि समय वाकई कम बचा है।
बहरहाल, अब जबकि चुनाव का दिन नजदीक है इतना तो कहा ही जा सकता है कि मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग अपना मन बना चुका होगा। चाहे किसी के भी पक्ष में। उम्मीदवारों के पास भी अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ और अपने समर्थन में कहने को शायद ही कुछ बचा हो। हां, मतदाताओं का एक वर्ग ऐसा भी होता है जो बिल्कुल अंत में या अनिश्चय कि स्थिति में वोट करता है। बहुत सी सीटों पर कभी वह भी निर्णायक साबित हो जाता है। खास तौर से वहां जहां मुकाबला कांटे का होता है। वहां यही वर्ग किसी की भी जीत या हार का सबब बनता है। ऐसे में दोनों उम्मीदवारों की कोशिश होगी कि उनके मुंह से ऐसा कुछ न निकल जाए जो बनती बात बिगाड़ दे। इस लिहाज से ट्रम्प को खुद पर अधिक नियंत्रण रखना होगा। चूंकि, हैरिस ने तो अब ऐसी कोई अनर्गल और आत्मघाती बात नहीं बोली है।
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