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बांग्लादेश में इस्कॉन संत कृष्णदास प्रभु की गिरफ्तारी पर बवाल, भारत ने कहा- यह दुर्भाग्यपूर्ण है

इस्कॉन संत कृष्णदास प्रभु की गिरफ्तारी को लेकर बांग्लादेश में बवाल मचा है। यूनुस सरकार ने उन्हें राजद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया है। अब मामले में भारत सरकार का बयान आया है।

Bangladeshi Hindu leader and ISKCON member Krishna Das Prabhu / X

बांग्लादेश में इस्कॉन संत कृष्णदास प्रभु की गिरफ्तारी को लेकर बवाल मचा है। तमाम हिंदू संगठनों ने हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्हें बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और जेल भेजने का आदेश दे दिया। उनकी गिरफ्तारी को लेकर बांग्लादेश में तमाम हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। भारत में भी इसे लेकर बवाल मचा है। इस बीच भारत सरकार का दास की गिरफ्तारी को लेकर बयान आया है। भारत सरकार ने बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

भारत ने मंगलवार को बांग्लादेश में हिंदू नेता कृष्णदास प्रभु की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हिंदुओं की सुरक्षा की मांग को लेकर रैलियों का नेतृत्व कर रहे प्रभु को सोमवार को दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश के चटगांव जाते समय ढाका के मुख्य हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया।

कौन हैं कृष्णदास प्रभु, उनके साथ क्या हुआ
कृष्णदास प्रभु को उनके अनुयायी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जानते हैं। उन पर अक्टूबर में राजद्रोह का आरोप लगाया गया था, जब उन्होंने चटगांव में एक विशाल रैली का नेतृत्व किया था, जिसमें उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था। दास एक प्रमुख हिंदू नेता हैं, जो बांग्लादेश सम्मिलितो सनातन जागरण जोत समूह के सदस्य हैं और अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) से जुड़े हैं।

कृष्णदास की गिरफ्तारी पर भारत सरकार का बयान
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने मंगलवार को कहा, "हमने श्री चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी और ज़मानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है, वो बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता भी हैं। यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई है। अल्पसंख्यकों के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और तोड़फोड़ और देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज हैं।"

विदेश मंत्रालय ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें प्रस्तुत करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। हम श्री दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे अल्पसंख्यकों पर हमलों को भी चिंता के साथ देखते हैं।" बयान में आगे कहा गया, "हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण ढंग से एकत्र होने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।"
 

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