स्कॉच, अमेरिकी और आयरिश व्हिस्की को पछाड़ते हुए भारत के रेडिको खेतान के सिंगल माल्ट रामपुर असावा सिंगल माल्ट व्हिस्की को जॉन बार्लेकॉर्न अवार्ड्स के 2023 संस्करण में 'बेस्ट वर्ल्ड व्हिस्की' के रूप में मान्यता दी गई है। बता दें कि कुछ दिनों पहले ये खबर आई थी कि भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की ने पहली बार सेल के मामले में ग्लेनलिवेट, मैकलान, लैगवुलिन और टैलिस्कर जैसे प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों को पीछे छोड़ दिया है।
क्ले राइजन, वेन कर्टिस, जैच जॉनसन, सुसान रीगलर और जॉन मैकार्थी सहित बार्लेकॉर्न सोसाइटी के सदस्यों द्वारा जज की गई प्रतियोगिता में टॉप स्पिरिट्स ऑफ 2023 के विजेता घोषित किए गए, जिसमें भारतीय घरेलू व्हिस्की भी शामिल थी।
उत्तर प्रदेश के रामपुर में 1943 में स्थापित एक डिस्टिलरी में तैयार होने वाले रामपुर इंडियन सिंगल माल्ट व्हिस्की असवा को अमेरिकी बोरबॉन बैरल में परिपक्व किया जाता है और सावधानीपूर्वक भारतीय कैबरनेट सॉविग्नन पीपे में लाया जाता है, इस कारण शानदार संतुलन के साथ एक अनूठी प्रॉडक्ट तैयार होती होती है।
अमेरिका में हर साल होने वाली अत्यधिक प्रतिस्पर्धी और प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय स्पिरिट्स प्रतियोगिता में जॉन बार्लेकॉर्न सोसाइटी बीज से कांच तक स्पिरिट्स उद्योग में उत्कृष्टता को माप करती है, जहां स्वाद, प्रिंट और डिजिटल मार्केटिंग, पैकेज डिजाइन, जनसंपर्क, पत्रकारिता, सोशल मीडिया, इवेंट प्रोडक्शन, फिल्म निर्माण और बार डिजाइन कुछ सामान्य कैटिगरी हैं जो उनके चयनित पैनलों द्वारा जज की जाती हैं।
भारतीय व्हिस्की वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में छा रही हैं। अमृत, पॉल जॉन, रेडिको खेतान के रामपुर और इंद्री जैसे ब्रांडों सहित अंतरराष्ट्रीय स्पिरिट प्रतियोगिताओं में शीर्ष पसंद में लगभग 23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने के साथ ये 33 बिलियन डॉलर के स्पिरिट बाजार पर हावी होने के लिए तैयार हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (CIABC) के अनुमान के अनुसार 2023 में कुल सेल में भारतीय सिंगल माल्ट की हिस्सेदारी लगभग 53% थी। पिछले साल भारत में सिंगल माल्ट की लगभग 675,000 केसेज (नौ लीटर प्रत्येक) की कुल बिक्री में से , भारतीय मूल के व्हिस्की निर्माताओं ने लगभग 345,000 केसेज बेचे, जबकि स्कॉटिश और अन्य अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों ने शेष 330,000 केस बेचे।
CIABC के अनुमान के अनुसार 2023 में स्थानीय ब्रांडों की बिक्री में लगभग 23% का इजाफा हुआ, जबकि इंपोर्टेड ब्रांड 11% की दर से बढ़े। इसे भारतीय व्हिस्की उत्पादकों के लिए एक बड़ा मील का पत्थर कह सकते हैं। विदेशी ब्रांड अब दबाव महसूस कर रहे हैं क्योंकि भारतीय कंपनियों को प्रमुखता मिल रही है। भारतीय सिंगल माल्ट की गुणवत्ता बिल्कुल शानदार है, जो उनकी मांग को बढ़ाने वाले मुख्य कारणों में से एक है।
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