आगामी चुनाव से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रवासियों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने सोमवार को ऐसे हजारों प्रवासियों के जीवनसाथियों के लिए कीपिंग फैमिलीज टुगैदर नामक कार्यक्रम शुरू किया, जो किसी जमाने में अवैध रूप से अमेरिका में आए थे। इस प्रोग्राम से इन्हें लीगल स्टेटस प्रदान किया जाएगा।
यह प्रोग्राम डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा वर्षों पहले अवैध रूप से आकर अमेरिका में रह रहे निवासियों को कानूनी दर्जा प्रदान करने के सबसे बड़े कदमों में से एक है। यह प्रोग्राम ऐसे समय शुरू किया गया है, जब 5 नवंबर के चुनाव के मद्देनजर रिपब्लिकन पार्टी ने अवैध आव्रजन पर अपना फोकस कर रखा है।
बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि जून में घोषित कीपिंग फैमिलीज टुगेदर प्रोग्राम के जरिए करीब पांच लाख ऐसे पति या पत्नी के लिए नागरिकता के दरवाजे खुल जाएंगे जो कम से कम 10 वर्षों से अमेरिका में रह रहे हैं। इसके अलावा अमेरिकी नागरिक बन चुके लोगों के 21 वर्ष से कम आयु के करीब 50 हजार बच्चे भी इसके पात्र होंगे।
बाइडन ने जुलाई में डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर होने से पहले लीगलाइजेशन प्रोग्राम का ऐलान किया था। अब बाइडेन उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को उम्मीदवारी सौंप चुके हैं।
अवैध रूप से अमेरिका-मेक्सिको सीमा पार करते पकड़े गए प्रवासियों की रिकॉर्ड संख्या को लेकर बाइडेन और हैरिस की आलोचना करते रहे हैं। इसके जवाब में हैरिस अपने इमिग्रेशन रिकॉर्ड और ट्रम्प द्वारा द्विदलीय बॉर्डर सिक्योरिटी बिल के विरोध का हवाला दे रही हैं, जो इस साल की शुरुआत में सीनेट से आगे नहीं बढ़ पाया था।
कीपिंग फैमिलीज टुगैदर प्रोग्राम योग्य पति-पत्नी को अमेरिका छोड़े बिना स्थायी निवास के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है। अभी उन्हें कुछ समय के लिए पहले देश छोड़ना पड़ता है। ग्रीन कार्ड प्राप्त करने वाले पति या पत्नी तीन साल में नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य हो जाते हैं।
यह प्रोग्राम डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स प्रोग्राम में नामांकित तमाम लोगों के लिए नागरिकता का रास्ता खोल सकता है जो कि अवैध रूप से अमेरिका में लाए गए प्रवासियों के बच्चों को निर्वासन से राहत और वर्क परमिट प्रदान करता है। हालांकि इस प्रोग्राम को रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login