राष्ट्रीय औषधि नियंत्रण नीति कार्यालय (ONDCP) के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता पर दफ्तर के माहौल को खराब करने और अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया गया है। बीती 16 परवरी को एक विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया है कि गुप्ता के बारे में शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। गुप्ता पर आरोप है कि वह 'घमंडी' हैं और हमेशा निजी कामों में 'व्यस्त' रहते
हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गुप्ता के रवैये के कारण कार्यालय के कम से कम आठ आला अधिकारी और अन्य कुछ सहायक इस्तीफा दे चुके हैं। हालात से वाकिफ लोगों का कहना है कि जिन अधिकारियों ने ONDCP छोड़ा है उनकी कमी की वजह से कार्यालय की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। कई काम समय पर नहीं हो पाये हैं और एकदम अराजकता का माहौल है। ONDCP में करीब 75 लोग कार्यरत हैं।
जिन लोगों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है उनमें से हर किसी ने उसकी पहचान उजागर न करने का आग्रह किया और डर के मारे खुलकर बोलने से भी परहेज किया। ONDCP के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि जब हर कोई छोड़ने लगता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि छोड़ने वाला हर शख्स समस्या था। यह भी तो हो सकता है कि आप ही समस्या हों।
गुप्ता पर एक सबसे गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वाह नहीं किया जिसके कारण राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी नीतियों का ठीक से और समय पर क्रियान्वयन नहीं हो सका। जरूरतमंद समुदायों तक दवाओं का वितरण नहीं हो सका। यही नहीं आरोप है कि गुप्ता ने अपनी छोटी सी टीम पर उनकी छवि निखारने के लिए दबाव डाला। कहते हैं कि दफ्तर के कामों के बहाने गुप्ता निजी कार्यों के लिए यात्राएं करते थे और उनकी दूसरी जगह रहने-ठहरने से जुड़ी मांगें बड़ी अजीब हुआ करती थीं। उनका ध्यान हमेशा अपने कामों पर रहता था न कि ONDCP के दायित्वों पर।
इंटरनल और प्रिवेंटिव मेडिसिन विशेषज्ञ गुप्ता की अक्टूबर 2021 में अमेरिकी सीनेट द्वारा द्विदलीय आधार पर पुष्टि की गई थी। एक विचारशील नेता और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर नवोन्मेषी सार्वजनिक नीतियों के संचालक के रूप में इस पद पर आसीन होने वाले वह पहले डॉक्टर थे।
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