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चुनावी दखल के मसले पर कनाडा की संसदीय समिति के सामने पेश होंगे मेयर ब्राउन 

मेयर ने अपने बयान में कहा, 'मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि इस दखलअंदाजी ने 2022 की कंजर्वेटिव पार्टी ऑफ कनाडा के नेतृत्व चुनाव के नतीजों को बदला हो। मेरे पास कमेटी की कार्रवाई में कुछ भी योगदान देने के लिए कोई सबूत नहीं है।'

पैट्रिक ब्राउन, पार्लियामेंट की एक कमेटी के सामने पेश होंगे। / X/ @@patrickbrownont

ब्रैम्पटन के मेयर और 2022 में कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व की दौड़ में अहम उम्मीदवार रहे पैट्रिक ब्राउन, पार्लियामेंट की एक कमेटी के सामने पेश होंगे। ये कमेटी कथित तौर पर भारत सरकार के एजेंटों पर कनाडा के चुनाव में दखल और अपराधिक गतिविधियों के आरोपों की जांच कर रही है।

ब्राउन पहले इस कमेटी के सामने पेश होने से मना कर चुके थे। लेकिन 2 दिसंबर को उन्होंने X पर एक बयान दिया, 'हालांकि मुझे कमेटी के समन पर आपत्ति है, लेकिन मैं अपनी कानूनी जिम्मेदारी समझता हूं और उसका पालन करूंगा।' उन्होंने कहा कि विदेशी दखलअंदाजी के मामलों की गहराई से जांच होनी चाहिए, लेकिन इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'मुझे ओटावा में चल रही पार्टीबाजी में घसीटे जाने का कोई कारण नहीं दिखता।' 

मेयर ने अपने बयान में अपनी बात की वजह बताई, 'मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि इस दखलअंदाजी ने 2022 की कंजर्वेटिव पार्टी ऑफ कनाडा के नेतृत्व चुनाव के नतीजों को बदला हो। मेरे पास कमेटी की कार्रवाई में कुछ भी योगदान देने के लिए कोई सबूत नहीं है। मुझे डर है कि मुझे राजनीतिक कारणों से बुलाया गया है, किसी महत्वपूर्ण नीतिगत मामले से नहीं।' उन्होंने तर्क दिया कि विदेशी दखलअंदाजी पर कमिशनर मैरी-जोसी हॉग द्वारा चलाई जा रही जांच अधिक सही होती। उन्होंने कहा कि हॉग ने गवाही के लिए उनसे संपर्क भी नहीं किया। 

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स, जिसमें रेडियो-कनाडा भी शामिल है, में यह बताया गया है कि कथित तौर पर भारतीय सरकार के एजेंटों ने अलग-अलग तरीकों से पैट्रिक ब्राउन के कंजर्वेटिव पार्टी के चुनाव प्रचार में रोड़े अटकाने की कोशिश की थी। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कथित तौर पर यह भी कहा गया है कि मजबूत हिंदू समुदाय के लोगों को ब्रैम्पटन के मेयर के तौर पर ब्राउन के लिए नाम दर्ज करवाने से रोका गया। 

रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि टोरंटो में कथित तौर पर भारतीय वाणिज्य दूतावास के इशारे पर बनी एक भारतीय-कनाडाई संस्था, जिसको ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र के हिंदू संगठनों का काफी समर्थन है, को 2022 में गणतंत्र दिवस के जश्न में पैट्रिक ब्राउन को न बुलाने की सलाह दी गई थी। यह वही साल था जब नेतृत्व चुनाव हुआ था।

अहम बात है कि पैट्रिक ब्राउन के बाद पियरे पॉइलीवर ने पहले ही राउंड में 68 प्रतिशत वोट पाकर नेतृत्व चुनाव जीत लिया। जुलाई 2022 में कंजर्वेटिव पार्टी की चुनाव कमेटी ने ब्राउन को 'गंभीर गड़बड़ी' के आरोप में अयोग्य घोषित कर दिया था, जो उनके चुनावी खर्च से जुड़ा था। इसपर ब्राउन ने पार्टी के बड़े अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि पॉइलीवर हार न जाएं। 

इस साल फरवरी में कनाडा चुनाव आयोग ने ब्राउन के प्रचार पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया। ब्राउन के प्रचार से जुड़े लोगों के मुताबिक, ब्रैम्पटन के मेयर के तौर पर, जो कनाडा का सबसे बड़ा सिख आबादी वाला शहर है, उन्होंने सिख समुदाय से गहरे रिश्ते बनाए थे। 

ब्राउन ने X पर भारत में कथित किसान आंदोलन के दौरान किसानों के समर्थन में मेसेज पोस्ट किए थे। इन किसानों में अधिकतर पंजाब से थे। जब इस आंदोलन के एक समर्थक, अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू की भारत में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई, तो ब्राउन ने फरवरी 2022 में ब्रैम्पटन सिटी हॉल के बाहर सिख समुदाय द्वारा आयोजित एक शोक सभा में हिस्सा लिया था। इस कार्यक्रम की एक तस्वीर अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट की थी। 

हालांकि, पैट्रिक ब्राउन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा सम्मान किया है। दोनों के बीच रिश्ते 2000 के शुरुआती वर्षों में बने थे, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। ब्राउन प्रवासी भारतीय दिवस के कुछ शुरुआती सत्रों में भी शामिल हुए थे। उस समय वह स्टीफन हार्पर की सरकार में एक पीछे की पंक्ति के सांसद और कनाडा-भारत संसदीय संघ के अध्यक्ष थे। 

अपनी आत्मकथा में ब्राउन ने मोदी के साथ अपनी दोस्ती का जिक्र करते हुए बताया है कि मोदी से संबंधों के कारण उन्हें कितना सम्मान मिला। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री को अपनी 'राजनीतिक प्रेरणाओं में से एक' भी बताया है। उनकी आर्थिक उपलब्धियों का जिक्र किया है। हालांकि, बाद में मोदी के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए।

 

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