भारत के सुपर कंप्यूटर प्रोग्राम को झटका देने वाली एक खबर आ रही है। फ्रांस की सबसे बड़ी इन्फोटेक कंपनी एटोस (Atos) टूटने के कगार पर बताई जा रही है। यूरोपियन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एटोस वित्तीय मुश्किलों में घिरी हुई है और अगर इसे बड़ी आर्थिक मदद नहीं मिली तो यह कंपनी बिखर सकती है।
करीब 12 अरब डॉलर की एटोस कंपनी के दुनिया भर में एक लाख से अधिक कर्मचारी हैं। ये मुख्य रूप से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, क्लाउड और साइबर सिक्योरिटी क्षेत्र में काम करती है। एटोस ने साल 2017 में भारत से 600 मिलियन डॉलर के नेशनल सुपर कंप्यूटिंग मिशन के लिए साझेदारी की थी।
कंपनी अब तक महाराष्ट्र के पुणे स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग यानी सीडैक को कई दर्जन उच्च क्षमता वाली कंप्यूटिंग (एचपीसी) मशीनें सप्लाई कर चुकी है। सीडैक ने इन मशीनों को कस्टमाइज करके देश के अलग-अलग आईआईटी और अन्य संस्थानों को मुहैया कराया है ताकि देश के लिए अगले सुपरकंप्यूटर पर काम किया जा सके।
दुनिया के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर्स की हर छह महीने में जारी होने वाली रैंकिंग के मुताबिक, भारत का सुपर कंप्यूटर परम सिद्धि दूसरा सबसे तेज सुपर कंप्यूटर है। सीडैक में रखे इस सुपर कंप्यूटर की टॉप परफॉर्मेंस 4.62 पेटाफ्लॉप्स है। गौर करने की बात ये है कि ये सुपर कंप्यूटर एटोस कंपनी की बुल मशीन पर ही बना है। 2011 के बाद से एटोस कई कंपनियों का अधिग्रहण कर चुकी है। इनमें सीमेंस आईटी सॉल्यूशंस, बुल कंप्यूटर्स, जेरोक्स और सिनटेल शामिल हैं।
भारत के भूविज्ञान मंत्रालय ने पिछले साल जून में एटोस की बिजनेस संभालने वाली कंपनी एविडेन (Eviden) को 100 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। इसके तहत उसे दो नए सुपर कंप्यूटर बनाकर देने हैं, जिनका इस्तेमाल मौसम मॉडलिंग और क्लाइमेट रिसर्च के लिए किया जाएगा। इन मशीनों को पुणे के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रोपिकल मीटियोरॉलजी और नोएडा के नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट में रखा जाएगा। अभी तक की जानकारी के मुताबिक, एटोस ने इन सुपर कंप्यूटरों की डिलीवरी नहीं दी है।
अब एटोस की वित्तीय हालत खस्ता होने से ये सवाल उठने लगा है कि क्या इसकी वजह से भारत की सुपर कंप्यूटर योजनाओं पर असर पड़ेगा? कहा जा रहा है कि एटोस अपने कर्जों को व्यवस्थित करने के लिए अपने दो खरीदारों को छोड़ सकती है। उम्मीद की जा रही है कि फ्रांस सरकार भी अपनी सबसे बड़ी प्राइवेट टेक कंपनी को बर्बाद होने से बचाने के लिए आगे आएगी। हालांकि तब तक एटोस के साथ डील करने वाली भारत सरकार की एजेंसियों को हालात पर पैनी नजर रखनी होगी।
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