रटगर्स यूनिवर्सिटी से परिसर में जातिगत भेदभाव पर रोक लगाने का आह्वान समुदाय संगठन हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स ने रगटर्स यूनिवर्सिटी से आग्रह किया है कि वह अपने परिसर में जातिगत भेदभाव को खत्म करे। संगठन ने रटगर्स विश्वविद्यालय प्रशासन से जातिगत भेदभाव पर यूनिवर्सिटी टास्क फोर्स द्वारा अगस्त 2024 की रिपोर्ट (अमेरिकी उच्च शिक्षा और रटगर्स में जाति-आधारित भेदभाव) में प्रस्तावित चार सिफारिशों को अपनाने का आह्वान किया है।
संगठन का कहना है कि विशेष रूप से हम विश्वविद्यालय अधिकारियों से आह्वान करते हैं कि वे विश्वविद्यालय के मौजूदा नागरिक अधिकारों और गैर-भेदभाव नीतियों में जाति को एक संरक्षित श्रेणी के रूप में जोड़कर जाति-आधारित भेदभाव को रोकने के लिए आवश्यक उपाय करें। जैसा कि ब्राउन विश्वविद्यालय, ब्रैंडिस विश्वविद्यालय और कैलिफ़ोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी ने किया है।
हिंदू अमेरिकियों के रूप में बुरे लोगों को देखकर दुखी और क्रोधित होते हैं। ये लोग हमारे समुदाय की ओर से बोलने का झूठा दावा करते हैं, इन बेहद जरूरी नागरिक अधिकारों के उपायों का विरोध करने के लिए हिंदू पहचान को हथियार बनाते हैं।
टास्क फोर्स की रिपोर्ट जाति सुरक्षा को अपनाने की तात्कालिकता और आवश्यकता को रेखांकित करती है। इस रिपोर्ट की सिफारिशों को पूर्णकालिक संकाय और स्नातक छात्र संघ के साथ-साथ विश्वविद्यालय सीनेट दोनों ने समर्थन दिया है।
विरोधी अक्सर तर्क देते हैं कि ऐसी नीतियों को अपनाने के लिए जातिगत भेदभाव की व्यापकता के बारे में पर्याप्त डेटा नहीं है लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि प्रणालीगत उत्पीड़न और भेदभाव (चाहे वह नस्ल, जाति या लिंग पर आधारित हो) का हमेशा तुरंत और प्रत्यक्ष रूप से पता नहीं चलता।
लेकिन आंकड़ों के न होने का अर्थ यह नहीं है कि भेदभाव नहीं हो रहा। बल्कि यह दमन अक्सर हाशिए की आवाजों को प्रणालीगत तरीके से खामोश करने और कम रिपोर्टिंग को दर्शाता है। रटगर्स जैसे संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे कमजोर समुदायों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से कार्य करें।
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