भारत के साथ राजनयिक विवाद और सांसदों की नाराजगी के बीच जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोमवार 6 जनवरी को सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा की। अपने संबोधन में ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने हमेशा ही कनाडा के प्रति प्रेम और कनाडाई लोगों के सर्वोत्तम हित को सर्वोपरी रखा है और आगे भी ऐसा ही करेंगे। कनाडा में इसी साल संसदीय चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले ट्रूडो की पार्टी में नेतृत्व बदलने को लेकर चर्चा तेज थी।
जस्टिन ट्रूडो ने स्पष्ट किया कि कनाडा के लोगों को अगले चुनाव में वास्तविक विकल्प मिलना चाहिए। साथ ही पार्टी के भीतर कलह पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि "आंतरिक लड़ाइयों" के कारण वे अगले चुनाव में लिबरल्स के नेता नहीं रह सकते। बता दें कि उनकी पार्टी के आधे से अधिक सांसदों ने इस साल होने वाले संसदीय चुनाव में हिस्सा नहीं लेने की घोषणा की है। ट्रूडो के इस्तीफा देने की पीछे की वजह सांसदों के विद्रोह और निराशाजनक जनमत सर्वेक्षण माने जा रहे हैं।
अपने संबोधन में ट्रूडो ने कहा कि वह आने वाले महीनों में उनकी जगह लेने वाले लोगों की प्रक्रिया को देखने के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि उनकी लिबरल पार्टी को 2021 में तीसरी बार महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और कनाडा के हितों को आगे बढ़ाने के लिए चुना गया था। उन्होंने कहा कि यह वह काम है जिसे वह और उनकी पार्टी करना जारी रखेंगे।
बता दें कि ट्रूडो 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री हैं। वह कंजर्वेटिव पार्टी के 10 साल के शासन के बाद सत्ता में आए थे और उनके कार्यकाल की शुरूआत में, देश को उसके उदार अतीत की ओर वापस लाने के लिए उनकी सराहना की गई थी। ट्रूडो हाल के वर्षों में कई मुद्दों पर मतदाताओं के बीच बेहद अलोकप्रिय हो गए, जिसमें भोजन और आवास की बढ़ती लागत तथा बढ़ता आव्रजन शामिल हैं।
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