भारत सरकार ने 2014 और मई 2023 के बीच कम से कम 102 ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड रद्द कर दिए हैं। अमेरिका/ब्रिटेन/यूरोप आदि देशों में रहने वाले इन लोगों के ओसीआई कार्ड भारत विरोधी गतिविधियों की वजह से रद्द किए गए हैं। सोमवार को सूचना के अधिकार का हवाला देते हुए यह जानकारी सामने आई है।
ओवरसीज सिटीजन एक इमिग्रेशन स्टेटस है। यह भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को अनिश्चित काल तक भारत में रहने और काम करने की अनुमति देती है। लेकिन यदि कोई इसका दर्जा खो देता है, तो उन्हें देश छोड़ना होगा और वापसी के लिए वीजा के लिए आवेदन करना होगा।
45 लाख से अधिक लोगों के पास ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड है। सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्र ने ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड को रद्द करने के औचित्य के रूप में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7 डी का हवाला दिया है।
कानून की धारा 7 डी कहती है कि ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड को रद्द किया जा सकता है यदि वे धोखाधड़ी से प्राप्त किए गए हैं। इसके अलावा यदि कार्डधारक ने संविधान के प्रति असहमति दिखाई है, युद्ध के दौरान किसी दुश्मन की सहायता की है, कारावास का सामना करना पड़ा है या भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के हितों में ऐसा करना आवश्यक है।
यह पूछे जाने पर कि 2004 से 2014 के बीच केंद्र में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने से पहले सरकार ने कितने ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड रद्द किए गए, केंद्र ने न्यूज पोर्टल को बताया कि उसके पास इसकी जानकारी नहीं है। केंद्र ने कहा कि मई 2023 तक 2,84,574 ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड रद्द किए गए। जवाब के लिए की गई अपील से पता चला कि इनमें 2,59,554 कार्ड इसलिए रद्द किए गए ताकि उन्हें फिर से जारी किया जा सके। जबकि अन्य कार्ड खो जाने, क्षतिग्रस्त होने, मृत होने और गलत प्रिंटिंग के लिए रद्द कर दिए गए थे।
2014 के बाद से केंद्र ने कई पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों के ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) दर्जे को रद्द कर दिया है। जनवरी में केंद्र ने फ्रांसीसी पत्रकार वेनेसा डौगनैक को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न उनका ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड वापस ले लिया जाए। बीजेपी सरकार ने आरोप लगाया कि उनके 'दुर्भावनापूर्ण' कार्यों ने देश की 'पक्षपातपूर्ण नकारात्मक धारणा' पैदा की है।
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