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तीस साल पहले सेंटर फॉर फिलॉसफी एंड द फाउंडेशन ऑफ साइंस की नींव रखने वाले प्रोफेसर रंजीत नायर का नई दिल्ली में निधन हो गया। 70 वर्षीय नायर ने दिल का दौरा पड़ने के बाद अपने निवास पर अंतिम सांस ली।
प्रोफेसर नायर ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी यूके से फिजिक्स और फिलॉसफी की पढ़ाई की थी। वह एक प्रखर लेखक, विचारक और विज्ञान के दार्शनिक पक्ष के जाने-माने वक्ता थे। उनके प्रमुख लेखन कार्यों में माइंड, मैटर एंड मिस्ट्री, और द रिपब्लिक ऑफ साइंस शामिल हैं। उन्होंने प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. ईसीजी सुधर्शन के संकलित कार्यों का संपादन भी किया था जिन्हें वह नोबेल पुरस्कार के योग्य मानते थे।
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प्रो नायर विज्ञान को आम लोगों से जोड़ने के प्रयासों के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने कई बड़े वैज्ञानिकों के साथ परिचर्चाओं का आयोजन किया था और उन्हें मॉडरेट किया था। अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले प्रो नायर ने नोबेल विजेता रोजर पेनरोज़ के साथ कॉस्मिक कॉन्ड्रम्स विषय पर एक ऑनलाइन चर्चा आयोजित की थी।
साल 2001 में उन्होंने मशहूर फिजिसिस्ट स्टीफन हॉकिंग से एक शर्त लगाई थी। उन्होंने हॉकिंग के इस विचार का विरोध किया था कि थ्योरी ऑफ एवरीथिंग के आने से बीस वर्षों में फिजिक्स अप्रासंगिक हो जाएगी। प्रोफेसर नायर ने कैंब्रिज के क्राइस्ट कॉलेज में जगदीश चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।
विज्ञान के प्रति उनका प्रेम उनके शुरुआती दिनों से ही स्पष्ट था जब वे त्रिवेंद्रम के यूनिवर्सिटी कॉलेज में साइंस सोसायटी ऑफ त्रिवेंद्रम के सक्रिय सदस्य थे। इस ग्रुप में चर्चित खगोल वैज्ञानिक थानु पद्मनाभन और न्यूयॉर्क की सिटी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वी. परमेश्वरन नायर जैसे सदस्य भी थे। कैंब्रिज में उनके घनिष्ठ मित्रों में इतिहासकार मुशिरुल हसन, हरी वासुदेवन और न्यूरो साइंटिस्ट डॉ. विलयनूर रामचंद्रन शामिल थे।
प्रोफेसर नायर अपने पीछे अपनी पत्नी कवयित्री एवं भाषाविद् रुक्मिणी भाया नायर, पुत्री प्रो विजयांका नायर, पुत्र विराज नायर, ओबामा प्रशासन में वरिष्ठ अधिकारी रहे भाई अरुण कुमार और बहन शैलजा श्रीकुमार को छोड़ गए हैं।
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