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शिकागो यूनिवर्सिटी ने भारत में खोला इंस्टिट्यूट, क्लाइमेट जैसी चुनौतियों से निपटने में मिलेगी मदद

शिकागो यूनिवर्सिटी भारत के 11 राज्यों की सरकारों और उद्योग जगत के भागीदारों के साथ मिलकर भी काम कर रही है।

परिचर्चा में हिस्सा लेते (बाएं से) बाला श्रीनिवासन, प्रो माइकल ग्रीनस्टोन और प्रवीर सिन्हा। / Image - University of Chicago

शिकागो यूनिवर्सिटी ने अपने दिल्ली सेंटर के 10वें स्थापना दिवस पर भारत में इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट एंड सस्टेनेबल ग्रोथ की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और सतत विकास की दोहरी चुनौतियों से निपटना है।

इंस्टिट्यूट का पहली बार 30 अक्टूबर 2024 को शिकागो में अनावरण किया गया था। इससे क्लाइमेट इकनोमिक्स, एडवांस एनर्जी टेक्नोलोजी और क्लाइमेट सिस्टम्स इंजीनियरिंग में विश्वविद्यालय के संसाधनों और साझेदारी का लाभ उठाने में मदद मिलेगी। 

मिल्टन फ्रीडमैन के प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन ने कहा कि भारत समेत पूरी दुनिया में लोग बेहतर जीवन की उम्मीद रखते हैं और विकास के लिए सस्ती ऊर्जा महत्वपूर्ण है। इस संस्थान का उद्देश्य इन दो लक्ष्यों को संतुलित करने के तरीके खोजना है। हम इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए इंडियन लीडर्स के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं।

2014 में स्थापित दिल्ली सेंटर से लिबरल आर्ट्स, पब्लिक पॉलिसी, साइंस और टेक्नोलोजी जैसे क्षेत्रों में सहयोग की सुविधा मिली है। सेंटर की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर लेनी चौधरी ने कहा कि यह माइलस्टोन शिकागो यूनिवर्सिटी और भारत के बीच प्रभावशाली सहयोग को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सेंटर के फैकल्टी डायरेक्टर सुप्रतीक गुहा ने कहा कि यह सिर्फ पिछली उपलब्धियों का जश्न मनाने का नहीं बल्कि सुनहरा भविष्य बनाने का भी अच्छा अवसर साबित होगा। 

गुहा ने कहा कि महत्वपूर्ण एवं उभरती टेक्नोलोजी पर यूएस-इंडिया इनिशिएटिव (आईसीईटी) जैसी पहलों का लाभ उठाते हुए हमारा उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और शिक्षा तक समान पहुंच प्रदान करना और शिक्षा, उद्योग एवं सरकार में साझेदारी को गहरा बनाना है।

इंस्टिट्यूट के लॉन्च इवेंट में मुख्य संबोधन भारत के मुख्य अर्थशास्त्री वी. अनंत नागेश्वरन और ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने दिया। इसके साथ ही ग्रीनस्टोन और टाटा पावर के सीईओ प्रवीर सिन्हा के साथ पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया। 

शिकागो यूनिवर्सिटी भारत के 11 राज्यों की सरकारों और उद्योग जगत के भागीदारों के साथ काम कर रही है। साथ ही ऊर्जा, अर्थशास्त्र और प्रौद्योगिकी में नीतिगत चुनौतियों के समाधान करने वाली दो दर्जन से अधिक परियोजनाओं को भी संचालित कर रही है।
 

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