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बाइडन ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में प्रवासियों के योगदान को इसलिए अहम बताया

बाइडन ने अपने 2024 के राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी अभियान के लिए फंड जुटाने वाले कार्यक्रम में कहा कि चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह क्यों पिछड़ रहा है। जापान को क्यों समस्या हो रही है, रूस और भारत को क्यों हैं, क्योंकि वे जेनोफोबिक हैं। वे प्रवासियों को नहीं चाहते हैं। लेकिन अप्रवासी ही हमें मजबूत बनाते हैं।

बाइडन ने चुनावी अभियान के लिए फंड जुटाने वाले कार्यक्रम में चीन, भारत और जापान को जेनोफोबिक बताया। / @YgorPetrov

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को कहा कि चीन, भारत और जापान में जेनोफोबिया (xenophobia) यानी प्रवासियों के प्रति डर है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि इन देशों का आर्थिक विकास नहीं हो पा रहा है। साथ ही उन्होंने तर्क दिया कि प्रवासन संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है। एक चुनावी कार्यक्रम में बाइडन ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है। इसका एक कारण आप और कई अन्य लोग हैं। उन्होंने कहा कि हम इसलिए आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि हम प्रवासियों का स्वागत करते हैं।

बाइडन ने वॉशिंगटन में अपने 2024 के राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी अभियान के लिए फंड जुटाने वाले कार्यक्रम में कहा कि चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह क्यों पिछड़ रहा है। जापान को क्यों समस्या हो रही है, रूस और भारत को क्यों हैं, क्योंकि वे जेनोफोबिक हैं। वे प्रवासियों को नहीं चाहते हैं। लेकिन अप्रवासी ही हमें मजबूत बनाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले महीने अनुमान लगाया था कि प्रत्येक देश साल 2023 की तुलना में 2024 में अपनी ग्रोथ में गिरावट को देखेगा। जापान में 0.9 फीसदी से लेकर भारत में 6.8 फीसदी तक गिरावट दर्ज की जा सकती है। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका 2.7 फीसदी की दर से बढ़ेगा, जो 2023 में 2.5 फीसदी से थोड़ा ज्यादा होगा। कई अर्थशास्त्री देश की श्रम शक्ति का विस्तार करने वाले प्रवासियों के लिए आंशिक रूप से बेहतर-से-अपेक्षित प्रदर्शन का श्रेय देते हैं।

नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव से पहले कई अमेरिकी मतदाताओं के लिए अनियमित प्रवासन के बारे में चिंता एक शीर्ष मुद्दा बन गई है। अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाजी को प्रवासी विरोधी बताने वाले बाइडन ने वैश्विक स्तर पर चीन और रूस का मुकाबला करने के लिए जापान और भारत सहित देशों के साथ व्यापक आर्थिक और राजनीतिक संबंधों के लिए काम किया है।

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