भारत ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को बार-बार खारिज किया है और कहा है कि राज्य देश का अभिन्न अंग है। इस मुद्दे पर अमेरिका भी भारत के साथ खड़ा है। अमेरिका ने कहा है कि वह अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है। अमेरिका की इस प्रतिक्रिया से चीन बिलबिला गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को अमेरिकी टिप्पणी पर कहा कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच सीमा मुद्दा एक द्विपक्षीय मामला है और इसका अमेरिका से कोई लेना-देना नहीं है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन-भारत सीमा का परिसीमन कभी पूरा नहीं हुआ। हर कोई जानता है कि अमेरिका ने हमेशा अपने भू-राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए अन्य देशों के विवादों को भड़काने और उपयोग करने के लिए इस्तेमाल किया है।
इससे पहले अमेरिका ने बुधवार को कहा था कि वह अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र मानता है और वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार अपने क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के चीन के किसी भी एकतरफा प्रयास का कड़ा विरोध करता है।
इस सप्ताह की शुरुआत में चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग शियाओगांग ने कहा था कि शिजांग (तिब्बत का चीनी नाम) का दक्षिणी हिस्सा चीन के क्षेत्र का एक हिस्सा है, और बीजिंग कभी भी अरुणाचल प्रदेश को भारत का नहीं मानता है। उन्होंने कहा कि भारत को चीन के जांगनान इलाके का मनमाने ढंग से विकास करने का कोई अधिकार नहीं है। चीन अरुणाचल को 'जांगनान' या दक्षिणी तिब्बत कहता है। चीन इस राज्य में भारतीय नेताओं के दौरों का विरोध करता रहा है।
लेकिन भारत का साफ तौर पर कहना है कि चीन के कुतर्क से वास्तविकता नहीं बदलेंगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक बयान में कहा था कि चीनी आपत्तियां 'इस वास्तविकता को नहीं बदलेंगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।'
भारत का कहना रहा है कि आधारहीन दलीलों को दोहराने से ऐसे दावों को कोई वैधता नहीं मिलती है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा। जायसवाल के मुताबिक देश के लोग भारत सरकार के विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभान्वित होते रहेंगे।
बता दें कि 9 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने नौ मार्च को अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फुट की ऊंचाई पर निर्मित सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह सुरंग रणनीतिक रूप से स्थित तवांग तक हर मौसम में संपर्क प्रदान करेगी और सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की बेहतर आवाजाही के लिए भी मददगार हो सकती है।
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