रंग, उमंग और उत्साह के पर्व होली की धूम पूरी दुनिया में जारी है। अमेरिका ब्रिटेन, कनाडा, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े मुल्कों के अलावा हिंद प्रशांत के मॉरीशस और फिजी में भी धूमधाम के साथ होली मनाई जाती है। यही नहीं, भारत के पड़ोसी मुस्लिम देशों में भी रंगों के त्योहार की अच्छी-खासी उमंग लंबे समय से देखी जाती रही है। पाकिस्तान और बांग्लादेश में फागुन के मौसम में होली के रंग छलकते हैं। होली के रंगों में वैसे तो तमाम देशों में बसे हिंदू समुदाय के लोग मस्ती करते देखे जा सकते हैं लेकिन भारतीय मूल के लोग जहां-जहां बड़ी संख्या में बसे हैं वहां भारत की ही तरह इससे जुड़े आयोजन कई दिन पहले से शुरू हो जाते हैं और तय तारीख के बाद भी चलते रहते हैं। बुराई पर अच्छाई का यह प्रतीक पर्व इसलिए भी पूरी दुनिया में विस्तार पा गया क्योंकि यह मौज-मस्ती और मेल-मिलाप का एक रंगीन और प्रतीक्षित उत्सव के रूप में स्थापित हो चुका है। ऐसे में सरकारों का ध्यान भी समुदायों की भावनाओं पर रहता है लिहाजा बड़े आयोजनों का क्रम बनता चला गया। और बेशक इसीलिए राष्ट्राध्यक्षों से लेकर गवर्नर, मेयर और राजदूत शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान प्राथमिकता के साथ करते हैं। आयोजन में हिस्सा लेते हैं। अब सूरत-ए-हाल यह है कि दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश बचा हो जहां होली नहीं मनाई जाती। इसलिए भी, क्योंकि भारतवंशी के हर कोने में पहुंच चुके हैं।
जैसे-जैसे भारतीय सीमाओं के पार इस उत्सव को लोकप्रियता हासिल हुई है तमाम देशों की सरकारें भी होली से जुड़े आयोजनों में हिस्सेदारी करते देखी जाने लगी हैं। अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की आबादी 50 लाख के पास या पार है और समाज के हर क्षेत्र में उनका दबदबा भी है इसलिए यहां भी होली के आयोजन कई दिन पहले शुरू हो जाते हैं और अभी कई दिन-महीनों जारी रहने वाले हैं। राजधानी वॉशिंगटन डीसी से लेकर लगभग हर राज्य में होली के आयोजन होते हैं अधिकांश में भारतीय दूतावास इन समारोहों के केंद्र में रहता है। त्योहार की लोकप्रियता और प्रवासी भारतीयों की भावना और आस्थाओं को ध्यान में रखते हुए सरकारों की ओर से भी होली के आयोजन किये जाते हैं जिनमें भारतीयों के साथ स्थानीय समुदाय के लोग रुचि और उमंग के साथ शिरकत करते हैं।
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होली के त्योहार की धूम स्वाभाविक तौर पर कई दिन रहती है। एक तो इससे जुड़े आयोजन कई दिन पहले से शुरू हो जाते हैं और कई दिन बाद तक जारी रहते हैं दूसरे भूगोल के हिसाब से भी दुनिया के देश दिन-रात में बंटे हुए हैं। इस दृष्टि से पूरब के देश होली जैसा कोई भी पर्व पहले मना लेते हैं और पश्चिम में उनकी छटा घड़ी की सुइयों के मुताबिक अगले दिन बिखरती है। होली और दिवाली भारत के दो ऐसे बड़े और प्रमुख त्योहार हैं जिनकी धूम निश्चित तिथि के आर-पार रहती है। इसकी गवाही गीत-संगीत से जुड़े कार्यक्रम और बाजार भी देते हैं। अमेरिका में ही अभी होली की कई महफिलें सजना बाकी है। कई आयोजन तो दो महीने के भी बाद होने हैं। विज्ञापन इसका सुबूत हैं।
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