भारतीय मूल की रिपब्लिकन सिख नेता हरमीत ढिल्लों रिपब्लिकन पार्टी कन्वेंशन में सिख प्रार्थना अरदास करने के बाद निशाने पर आ गई हैं। उनके खिलाफ नस्लवादी और घृणित बयानबाजी की जा रही है। भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने ‘रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन’ (RNC) में अरदास को लेकर हरमीत ढिल्लों के खिलाफ की जा रही नस्लवादी टिप्पणियों की निंदा की और इन्हें पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया। पिछले सोमवार रात को जब उन्होंने अरदास की थी उस समय राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प भी मौजूद थे।
सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि 'सोमवार रात को रिपब्लिकन नेशनल कमेटी की सदस्य हरमीत ढिल्लों की सिख प्रार्थना के प्रति घृणित और नस्लवादी प्रतिक्रिया पूरी तरह से अस्वीकार्य है। नस्ल या धर्म के आधार पर भेदभाव का अमेरिका में कोई स्थान नहीं है। जब भी ऐसा होता है, तो डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन दोनों को इसे खारिज करना चाहिए और इसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए।'
मिलवाउकी में आयोजित इस कार्यक्रम में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य जानलेवा हमले में बाल-बाल बचे ट्रम्प का स्वागत करने के लिए एकत्र हुए थे। पेनसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप पर एक बंदूकधारी ने हमला कर दिया था। इस हमले में एक गोली ट्रम्प के दाहिने कान को छूकर निकल गई थी।
आरएनसी में शामिल ढिल्लों के अरदास करने के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा था। ऐसा मालूम होता है कि उनकी निंदा करने वालों में अधिकतर लोग उनकी पार्टी के समर्थक थे। सिख प्रार्थना को ईश निंदा बताते हुए एक जॉर्ज नाम के यूजर ने एक्स पर लिखा था, 'बिल्कुल स्वीकार नहीं। जिसने भी उन्हें विदेशी भगवान से प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया है, उसे बाहर करो। केवल एक ही सच्चा भगवान है जिसकी हम प्रार्थना करते हैं।'
बता दें कि हरमीत ढिल्लों का जन्म भारत के चंडीगढ़ में सिख परिवार में हुआ है। बचपन में ही वे अमेरिका चली गईं, जहां उत्तरी कैरोलिना के ग्रामीण शहर में उनका पालन-पोषण हुआ। उन्होंने डार्टमाउथ कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की और बाद में वर्जीनिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ में कानून की पढ़ाई की। वह एक धार्मिक अधिकार वकील भी हैं और 2020 के राष्ट्रपति अभियान के दौरान ट्रम्प के कानूनी सलाहकार के रूप में काम किया।
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