राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मेक्सिको बॉर्डर बंद करने पर विचार करने की बात कहकर प्रवासी समुदाय में हलचल मचा दी है। भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने भी इस पर गहरी निराशा जताई है।
राष्ट्रपति बाइडेन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि उनका प्रशासन इस बात पर विचार कर रहा है कि अगर जरूरत पड़ती है तो क्या उनके पास मेक्सिको से लगी दक्षिणी सीमा को बंद करने का एकाधिकार है या नहीं। बाइडेन ने यूनिविज़न के एनरिक एसेवेडो के साथ इंटरव्यू में कहा था कि हम जांच कर रहे हैं कि हमारे पास ऐसा अधिकार है या नहीं।
राष्ट्रपति का कहना था कि हर रोज लगभग 5,000 लोग सीमा पार करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि आप इसे मैनेज नहीं कर सकते, लोगों की आवाजाही कम नहीं कर सकते। ऐसी गारंटी नहीं है कि मेरे पास कानूनन ऐसा अधिकार है या नहीं। कुछ लोगों ने बस सुझाव दिया है कि मुझे आगे बढ़ना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए। अगर अदालत के जरिए इस सीमा को बंद करना पड़े तो ऐसा भी करना चाहिए।
भारतीय अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि मैं राष्ट्रपति को सीमा को बंद करने और अमेरिका में शरण मांगने वाले लोगों की क्षमता सीमित करने के लिए कार्यकारी अधिकार के इस्तेमाल पर विचार के बयान से बेहद निराश हूं। हम डेमोक्रेट्स हैं और हम डोनाल्ड ट्रम्प व स्टीफन मिलर की प्लेबुक के आधार पर नहीं चल सकते। हमें गरिमा और मानवता के साथ नेतृत्व करने की आवश्यकता है। 30 साल के आंकड़े गवाह हैं कि सिर्फ इमिग्रेशन को ध्यान में रखकर बनाई गई नीतियां कामयाब नहीं हैं।
प्रमिला का बयान राष्ट्रपति बाइडेन के आव्रजन कानूनों में व्यापक एवं मानवीय सुधार का बिल पेश करने को स्वीकार करता है, जो पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा लागू की गई कठोर नीतियों के अप्रभाव को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने जब मेक्सिको में बने रहने (remain in mexico) और टाइटल-42 जैसी कठोर नीतियों को लागू किया था तो सीमा को लेकर आशंकाएं बढ़ गई थीं। 2018 में जब ट्रम्प ने एग्जिक्यूटिव आदेश के जरिए इसे लागू करने का प्रयास किया तो अदालतों को इसे रोकना पड़ा था।
प्रमिला ने कहा कि आव्रजन प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है लेकिन राष्ट्रपति बाइडेन की हालिया टिप्पणियां निराशाजनक हैं। हमें आव्रजन प्रणाली में मूलभूत सुधारों पर काम करते रहना होगा जो प्रवासियों को अमेरिका में प्रवेश के कानूनी रास्ते प्रदान करता है। ऐसी आव्रजन प्रणाली बनानी होगी जो अधिक रिसोर्स हमारे देश में ला सके, हर स्तर पर आप्रवासियों द्वारा हमारे देश में दिए गए योगदान को स्पष्ट मान्यता दे सके।
प्रमिला ने जोर देकर कहा कि सीमा पर ऐसी स्थिति पुरानी और बेकार हो चुकी कानूनी आव्रजन प्रणाली का नतीजा है, जिसमें पिछले तीन दशकों से सुधार करके आधुनिक जगह के अनुरूप नहीं बनाया गया है। जयपाल ने कानूनी प्रक्रिया में बेहद लंबे बैकलॉग का भी जिक्र किया, जिससे कानूनी नागरिकों को भी अपने बच्चों के साथ रहने में दशकों लग जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि कंपनियों को कुशल पेशेवरों को काम पर रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि 20 लाख लोगों के आवेदन लंबित पड़े हैं। शरण पाने के इच्छुक लोगों को 8 साल से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ता है क्योंकि इमिग्रेशन जजों की कमी से उनके मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसी कानूनी सिस्टम की वजह से लोगों को अवैध कार्टेल की मदद लेने पर मजबूर होना पड़ता है, जो अवैध घुसपैठ कराने का वादा करके उनकी नाजायज फायदा उठाते हैं।
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