दफ्तरों में कर्मचारियों से ज्यादा समय तक काम कराए जाने को लेकर जारी बहस के बीच सैन फ्रांसिस्को के एआई स्टार्टअप ग्रेप्टाइल के भारतीय-अमेरिकी सीईओ ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि उनकी कंपनी के कर्मचारियों से रोज 14 घंटे से अधिक काम करने की उम्मीद की जाती है।
आलोचनाओं के बाद हालांकि सीईओ दक्ष गुप्ता ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी कंपनी में कर्मचारियों का एक छोटा ग्रुप ही लंबे समय तक काम करने का आनंद लेता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके यहां भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है। केवल ऐसे उम्मीदवारों को ही काम पर रखा जाता है, जो इस तरह की मांग वाले माहौल में सहज हैं।
दक्ष गुप्ता का कहना है कि कंपनी की उम्मीदों के बारे में पहले ही बता दिए जाने का एक फायदा ये होता है कि कर्मचारियों को पता होता है कि उनसे क्या अपेक्षा की जा रही है। इससे बाद में कर्मचारियों में असंतोष का भावना पैदा होने की संभावना कम हो जाती है।
ऑफिस में कितने घंटे काम कराया जाना चाहिए, ये ग्लोबल वर्कफोर्स के बीच सबसे अधिक बहस वाले विषयों में से एक बन चुका है। कुछ कंपनियां लंबे वर्किंग आवर्स पर जोर देती हैं जबकि कुछ कंपनियां हेल्थ वर्क-लाइफ बैलेंस की आवश्यकता पर जोर देती हैं। लंबे समय तक काम करने की प्रवृत्ति अक्सर उच्च उत्पादकता के दबाव को दर्शाती है।
अमेरिका में निर्माण, विनिर्माण और परिवहन सेक्टर में काम करने वाले ब्लू-कॉलर कर्मचारी आमतौर पर प्रति सप्ताह 40-50 घंटे काम करते हैं। कुछ उद्योगों ने 50-60 घंटे तक काम की आवश्यकता होती है। वाइट कॉलर अधिकारी आमतौर पर प्रति सप्ताह 40-45 घंटे काम करते हैं। कभी-कभी ओवरटाइम भी करते हैं।
पूरी दुनिया में देखें तो भूटान में कर्मचारी सबसे ज्यादा समय देते हैं। वहां कर्मचारी प्रति सप्ताह औसतन 54.4 घंटे काम करते हैं। संयुक्त अरब अमीरात में 50.9 घंटे के औसतन वर्किंग आवर्स है। लेसोथो 50.4 घंटे के साथ तीसरे स्थान पर है। सबसे अधिक काम करने वाले देशों में भारत 13वें स्थान पर है।
भारतीय ब्लू-कॉलर कर्मचारी विशेष रूप से लेबर सेंसिटिव उद्योगों में आमतौर पर प्रति सप्ताह 48-54 घंटे काम करते हैं। इसमें 8-9 घंटे की डेली शिफ्ट के साथ 6 दिन काम कराया जाता है।
वाइट कॉलर अधिकारी आमतौर पर सप्ताह में 45-50 घंटे काम करते हैं। कई कंपनियों में 5 दिन तक रोज 9 घंटे काम का शेड्यूल होता है। पीक सीज़न या डिमांड के समय वर्किंग आवर जरूरत के मुताबिक बढ़ जाते हैं।
इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने कुछ समय पहले जोर देकर कहा था कि कर्मचारियों को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए। उनका मानना है कि देश की प्रगति के लिए यह आवश्यक है। इस सुझाव पर काफी विवाद हुआ। बहुत से लोगों ने मौजूदा वर्क कल्चर में इतने लंबे समय तक काम करने से आने वाली मुश्किलों का हवाला देते हुए इसका विरोध किया था।
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