कोस्टा रिका भारत और मध्य एशिया के व्यक्तियों सहित अमेरिका में अवैध आप्रवासियों के प्रत्यावर्तन के लिए एक आधार केंद्र के रूप में कार्य करने पर सहमत हो गया है। 18 फरवरी को जारी एक आधिकारिक बयान में यह बात कही गई है।
कोस्टा रिका के राष्ट्रपति रोड्रिगो चावेस रोबल्स के कार्यालय के अनुसार 200 प्रवासियों का पहला समूह एक वाणिज्यिक उड़ान के माध्यम से 19 फरवरी को जुआन सांतामारिया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने के लिए तैयार है।
बयान में कहा गया है कि कोस्टा रिका की सरकार 200 अवैध आप्रवासियों को उनके देश वापस लाने में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सहयोग करने पर सहमत है। ये मध्य एशियाई देशों और भारत से आने वाले लोग हैं। हालांकि इसमें यह नहीं बताया गया कि कितने प्रवासी भारत से थे। कहा गया है कि कोस्टा रिका उनके लिए उनके मूल देशों तक पहुंचने के लिए एक सेतु के रूप में काम करेगा।
उनके प्रत्यावर्तन से पहले प्रवासियों को कोस्टा रिका में एक अस्थायी देखभाल सुविधा में रखा जाएगा। अमेरिकी सरकार उनके प्रवास के दौरान उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) की निगरानी में इस ऑपरेशन को वित्त पोषित कर रही है।
यह घटनाक्रम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के बाद हुआ है जहां उन्होंने आव्रजन सहित प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प से मुलाकात की थी। अवैध आप्रवासन पर ट्रम्प प्रशासन की तीव्र कार्रवाई के तहत 300 से अधिक भारतीयों को पहले ही भारत निर्वासित किया जा चुका है।
कोस्टा रिका का यह कदम इसे अमेरिकी निर्वासन की सुविधा देने वाला दूसरा मध्य अमेरिकी राष्ट्र बनाता है। पिछले हफ्ते पनामा को चीन, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों से प्रवासियों को लेकर तीन अमेरिकी निर्वासन उड़ानें मिलीं।
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में कैरीबियाई और मध्य अमेरिका का दौरा किया और प्रवास के मुद्दों पर ट्रम्प प्रशासन के साथ सहयोग करने के लिए कोस्टा रिका और पनामा से प्रतिबद्धता हासिल की।
कोस्टा रिका सरकार ने मानवीय सहयोग पर अपने रुख की पुष्टि करते हुए कहा कि वह मानवीय मुद्दों में विश्व में अग्रणी बनी रहेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि अमेरिकी सरकार की प्रत्यावर्तन प्रक्रिया पूरी तरह से IOM पर्यवेक्षण के तहत वित्त पोषित रहे।
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