अमेरिका के शीर्ष डेमोक्रेट्स का कहना है कि अगर राष्ट्रपति जो बाइडेन दबाब के आगे झुकते हुए आगामी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी छोड़ देते हैं तो उपराष्ट्रपति कमला हैरिस स्वाभाविक तौर पर उनकी उत्तराधिकारी होंगी। अब पार्टी के दानदाता, कार्यकर्ता और पदाधिकारी सवाल उठा रहे हैं कि क्या डोनाल्ड ट्रम्प को हराने के लिए कमला हैरिस बाइडेन से ज्यादा बेहतर साबित हो सकती हैं? हालांकि बाइडेन बार-बार कह रहे हैं कि वह अब भी रेस में हैं।
अमेरिका की सीनेटर और कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल रह चुकीं 59 वर्षीय कमला हैरिस अफ्रीकी अमेरिकी और एशियाई मूल की पहली उपराष्ट्रपति हैं। अगर वह 5 नवंबर का चुनाव जीतने में सक्षम होती हैं तो अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति भी बन जाएंगी।
बतौर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की साढ़े तीन साल पहले व्हाइट हाउस में शुरुआत ज्यादा मजबूत नहीं रही थी। स्टाफ टर्नओवर और मध्य अमेरिका से प्रवास सहित शुरुआती नीति पोर्टफोलियो में उन्हें अच्छी सफलताएं नहीं मिलीं। पिछले साल तक व्हाइट हाउस में और बाइडेन की कैंपेन टीम के अंदर कई लोग इस बात से चिंतित थे कि कमला हैरिस कैंपेन के लिए एक बोझ बन चुकी हैं। हालांकि तब से स्थिति काफी बदल गई है। डेमोक्रेटिक अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने गर्भपात के अधिकारों पर मजबूत रुख से युवा मतदाताओं को आकर्षित किया है।
ट्रम्प से मुकाबले में कमला हैरिस बाइडेन से कितनी मजबूत हैं, ये हालिया कुछ सर्वे से जाहिर हुआ है। इन पोल्स का कहना है कि कमला हैरिस रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रम्प के खिलाफ बाइडेन से बेहतर चुनौती पेश कर सकती हैं, हालांकि उन्हें कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
2 जुलाई को जारी सीएनएन के पोल में कहा गया कि बाइडेन (43%) के मुकाबले ट्रम्प (49%) छह प्रतिशत अंक आगे हैं। हालांकि हैरिस (45%) भी ट्रम्प (47%) से पीछे हैं, लेकिन बाइडेन के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं। पोल में देखा गया कि स्वतंत्र मतदाता ट्रम्प की तुलना में हैरिस को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ऐसे लोगों का मत प्रतिशत 43 के मुकाबले 40 है। दोनों पार्टियों के उदारवादी मतदाता भी 51-39 प्रतिशत के अंतर से उन्हें पसंद करते हैं।
बाइडेन और ट्रम्प के बीच पिछले हफ्ते पहली टीवी डिबेट के बाद रॉयटर्स/इप्सोस के पोल में हैरिस और ट्रम्प को लगभग बराबर समर्थन मिला था। 42% ने हैरिस का और 43% ने ट्रम्प का सपोर्ट किया था। बाइडेन के संभावित विकल्पों में केवल पूर्व फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा ही आगे बताई गई हैं, हालांकि मिशेल ने कभी चुनावी रेस में उतरने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। डिबेट के बाद बाइडेन की कैंपेन टीम की तरफ से साझा किए गए आंतरिक पोल के नतीजों में कहा गया था ट्रम्प को हराने में हैरिस बाइडेन से पीछे हैं। 48% मतदाताओं ने ट्रम्प के सपोर्ट की बात कही थी, जबकि 45% हैरिस के साथ बताए गए थे।
अमेरिकी प्रतिनिधि जिम क्लाइबर्न सहित कई प्रभावशाली डेमोक्रेट्स ने संकेत दिए हैं कि अगर बाइडेन उम्मीदवारी छोड़ने का विकल्प चुनते हैं तो कमला हैरिस इस रेस में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प होंगी। क्लाइबर्न वही हैं, जिनकी 2020 में बाइडेन की जीत में अहम भूमिका रही थी। हैरिस को लेकर ऐसी राय रखने वाले अन्य डेमोक्रेट्स में न्यूयॉर्क के कांग्रेसमैन व कांग्रेस में ब्लैक कॉकस के वरिष्ठ सदस्य ग्रेगरी मीक्स और पेंसिल्वेनिया के हाउस डेमोक्रेट समर ली शामिल हैं। कांग्रेस के एक सहयोगी का कहना है कि हाउस के माइनॉरिटी लीडर हकीम जेफरीज ने भी सांसदों को निजी तौर पर यही संकेत दिया है।
हैरिस की संभावित दावेदारी के बीच दो रिपब्लिकन दानदाताओं ने रॉयटर्स से कहा कि ट्रम्प से मुकाबले में वह हैरिस के बजाय बाइडेन का सपोर्ट करना ज्यादा पसंद करेंगे। नेवादा में ट्रम्प के लिए फंड जुटाने वाली पॉलीन ली ने कहा कि मैं चाहूंगी कि बाइडेन रेस में बने रहें। इन्हीं फंडरेजर ने 27 जून की डिबेट के बाद कहा था कि बाइडेन ने साबित कर दिया है कि वह अक्षम हैं।
डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए फंडरेजिंग के मुख्य केंद्र वॉल स्ट्रीट के कुछ लोग अपनी पसंद जाहिर करने लगे हैं। पहली डिबेट के बाद फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी कार्सन ग्रुप के वैश्विक मैक्रो रणनीतिकार सोनू वर्गीज ने कहा था कि बाइडेन पहले से ही ट्रम्प से पीछे हो चुके हैं। यह अंतर दूर होने की संभावना भी नहीं दिख रही है। हैरिस अगर मैदान में उतरती हैं तब भले ही डेमोक्रेट्स के व्हाइट हाउस में बने रहने की संभावना सुधर सकती है।
अधिकांश अमेरिकी हैरिस को नकारात्मक नजरिए से देख रहे हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि राष्ट्रपति पद का मुकाबले दोनों पुरुषों के बीच ही होगा। पोलिंग आउटलेट फाइव थर्टी एट का कहना है कि 37.1% मतदाता हैरिस को स्वीकारकरते हैं और 49.6% अस्वीकार। बाइडेन के लिए ये संख्या क्रमशः 36.9% और 57.1% है। वहीं ट्रम्प की बात करें तो 38.6% स्वाकार और 53.6% अस्वीकार करते हैं।
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