टैक्स बचाने और आमदनी छिपाने के लिए कई भारतीय तरह-तरह के जुगाड़ करते हैं। इनमें से बहुत से लोग विदेशों में संपत्तियां खरीदते हैं, लेकिन उसकी जानकारी और फंडिंग के सोर्स को छिपाते हैं। ऐसे ही लोगों पर भारत ने जर्मनी और यूएई द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा की मदद से शिकंजा कसा है।
जर्मनी ने भारत के साथ दोहरे कराधान से बचाव समझौते (डीटीएए) के तहत महत्वपूर्ण डेटा साझा किया है। इसके बाद भारत की विदेशी संपत्ति जांच इकाई (एफएआईयू) ने दुबई और अबू धाबी में अघोषित संपत्ति रखने के आरोप में मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु सहित 14 शहरों में 100 से अधिक भारतीय नागरिकों को नोटिस जारी किए हैं।
यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय डेटा साझाकरण समझौतों के तहत यूएई के अधिकारियों से विस्तृत डेटा मिलने के बाद की गई है। इस डेटा में उन व्यक्तियों का जिक्र है जिन्होंने अपने टैक्स फाइलिंग में इन अघोषित संपत्तियों का खुलासा नहीं किया है।
अधिकारियों का कहना है कि इन संपत्तियों को अघोषित धन का उपयोग करके खरीदा गया है। यह भारत के काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) अधिनियम के तहत अपराध है जिसमें अघोषित विदेशी संपत्तियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। अगर ये लोग इन संपत्तियों को खरीदने के लिए उपयोग किए गए धन का वैध स्रोत बताने में नाकाम रहे तो उन्हें संपत्ति के मूल्य से अधिक दंड का सामना करना पड़ सकता है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल ही में करदाताओं को काले धन निरोधी कानून के तहत गंभीर परिणाम की चेतावनी दी थी। इसमें आयकर रिटर्न (आईटीआर) में विदेशी संपत्ति या विदेशी आय का खुलासा न करने पर 12,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 10 लाख रुपये) का जुर्माना भी शामिल है।
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