भारतीय-अमेरिकी मनोचिकित्सक दीपक सिरिल डिसूजा को येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में विक्रम सोढ़ी '92 मनोचिकित्सा प्रोफेसर नियुक्त किया गया है। डिसूजा का कार्य साइलोसाइबिन और केटामाइन जैसे पदार्थों पर केंद्रित है, जो सदमे के बाद स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) और अवसाद जैसी न्यूरो सायकायट्रिक परिस्थितियों के इलाज में काम आते हैं।
विक्रम सोढ़ी येल के पूर्व छात्र और सन वैली इन्वेस्टमेंट्स के मैनेजिंग पार्टनर हैं। सोढ़ी द्वारा स्थापित यह नई प्रोफेसरशिप येल के मेडिकल स्कूल में किसी भारतीय के नाम पर पहली प्रोफेसरशिप है।
सोढ़ी ने कहा कि डिसूजा ने येल के मिशन को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। डॉ डिसूजा ने कई न्यूरोसायकायट्रिक परिस्थितियों के इलाज की दवाओं की खोज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उम्मीद है कि ये प्रोफेसरशिप उनके जरिए पूरे समाज को लाभान्वित करने और बेहतरी के समाधानों की खोज को आगे बढ़ाएंगी।
डिसूजा ने येल में कई नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं। वह येल सेंटर फॉर द साइंस ऑफ कैनबिस एंड कैनबिनोइड्स और सिज़ोफ्रेनिया न्यूरोफार्माकोलॉजी रिसर्च ग्रुप के निदेशक भी रहे हैं। इन केंद्रों में उनका काम मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरोडेवलपमेंट पर कैनबिस और कैनबिनोइड्स के प्रभावों को समझने पर केंद्रित रहा है।
डिसूजा ने प्रोफेसरशिप के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह पूर्व छात्र सोढ़ी के प्रति बहुत आभारी हैं। सोढ़ी के उदार समर्थन से मुझे साइकेडेलिक्स और अन्य दवाओं के अध्ययन के लिए अधिक समय मिलेगा और प्रयास बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि येल के स्कूल ऑफ मेडिसिन में किसी भारतीय के नाम पर यह सम्मान सार्थक हो गया।
डिसूजा ने 1986 में जॉन नेशनल एकेडमी ऑफ हेल्थ साइंसेज, बैंगलोर से मेडिकल डिग्री ली थी। इसके बाद 1992 में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क डाउनस्टेट में सायकायट्रिक रेसिडेंट रहे। इसके बाद उन्होंने येल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में साइकोफार्माकोलॉजी और न्यूरोसाइंसेस में पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप प्राप्त की।
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