जरूरी कागजात के बिना अमेरिका में रह रहे हजारों भारतीयों को अपनी सुनवाई के लिए काफी इंतजार करना पड़ रहा है।कई बार उन्हें हिरासत में भी रख लिया जाता है। देश से निकाले जाने का खतरा भी हमेशा मंडराता रहता है। यह सब इमिग्रेशन सिस्टम की उलझनों की वजह से है। इन लोगों को शरणार्थी आवेदन (asylum applications) पर फैसला सुनाने के लिए इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) की सुनवाई का इंतजार है। यह इंतजार कई सालों तक भी चल सकता है। यह सुनवाई उनके लिए बहुत जरूरी है।
भारत के एक स्थानीय न्यूजपेपर की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में तकरीबन 41,000 भारतीयों ने अमेरिका में शरण मांगने के लिए अर्जी दी। इनमें से कई लोगों को अब अपने मामलों के निपटारे का बहुत लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। सूत्रों ने अखबार को बताया कि कुछ सुनवाई की तारीखें तो 2027 तक की भी हैं, जिससे ये लोग बहुत मुश्किल स्थिति में हैं। गुजरात के एक शख्स को इस साल की शुरुआत में अटलांटा में 'गैर-नागरिक का दर्जा' मिल गया। लेकिन उनकी सुनवाई की तारीख मार्च 2027 है। इससे साफ है कि कानूनी मामले निपटाने में कितना लंबा समय लग रहा है।
दिक्कत ये है कि जिनकी सुनवाई की तारीख पहले से तय है, उन्हें भी देश निकाले जाने का खतरा है। गुजरात के मेहसाणा से एक जोड़ा और उसका बच्चा जून में अमेरिका-कनाडा सीमा पार करने के बाद से हिरासत में है। उनका मामला ICE के पास है और सुनवाई अगस्त 2026 में होगी।
खबरों के मुताबिक, इंसानों की तस्करी करने वाले नेटवर्क अपने क्लाइंट्स को सलाह दे रहे हैं कि शरण मांगने के लिए राजनीतिक उत्पीड़न का बहाना न बनाएं। वो चेतावनी दे रहे हैं कि इससे कड़ी पड़ताल होगी और देश निकाले जाने का खतरा भी बढ़ जाएगा। कुछ वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें गुजराती प्रवासियों को गैरकानूनी तरह से अमेरिका में घुसते और अपने शरण के मामले को मजबूत करने के लिए झूठे राजनीतिक उत्पीड़न का दावा करते दिखाया गया है।
हाल ही में भारत में राज्यसभा में इस पर बहस हुई। सरकार ने शरणार्थियों पर आरोप लगाया कि वे अपने फायदे के लिए देश की छवि खराब कर रहे हैं।
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