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भारत को समस्या की तरह नहीं देखते ट्रम्प, दोस्ती और गहरी होने की उम्मीदः ध्रुव जयशंकर

ध्रुव जयशंकर का मानना है कि ट्रम्प की विदेश नीति में भारत को अपेक्षाकृत अनुकूल स्थान मिलेगा। 

ध्रुव जयशंकर ओआरएफ अमेरिका के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर हैं। / Website: orfamerica.org

आगामी डोनाल्ड ट्रम्प सरकार में अमेरिका और भारत के संबंधों का भविष्य कैसा होगा, ये इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। कई चुनौतियों के बावजूद उम्मीद है कि दोनों देश रक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा पर सहयोग बढ़ाएंगे और एकदूसरे की मदद से वैश्विक चुनौतियों से निपटेंगे।

ओआरएफ अमेरिका के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर ध्रुव जयशंकर ने न्यू इंडिया अब्रॉड से विशेष बातचीत में राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल में भारत की स्थिति को लेकर अपने विचार साझा किए। उनका मानना है कि ट्रम्प की विदेश नीति में भारत को अपेक्षाकृत अनुकूल स्थान मिलेगा। 

उन्होंने कहा कि ट्रम्प लगातार मुक्त व्यापार समझौतों, गैरदस्तावेजी प्रवासियों और विदेशी सैन्य हस्तक्षेपों को लेकर अपने संदेह व्यक्त करते रहे हैं। मेरा मानना है कि ट्रम्प प्रशासन में भारत अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति में है। 

जयशंकर ने आगे कहा कि ट्रम्प नाटो और जापान जैसे अमेरिका के सहयोगियों को और ज्यादा सहयोग करने के पक्षधर रहे हैं। वह विदेशी सहायता का भी विरोध करते हैं। इसका मतलब ये है कि भारत के इन मुद्दों से सीधे प्रभावित होने की संभावना नहीं है क्योंकि ट्रम्प भारत को एक समस्या की तरह नहीं देखते हैं।

जयशंकर ने कहा कि भारत शांति को बढ़ावा देकर, व्यापार को सुविधाजनक बनाकर और वैश्विक संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल से वैश्विक संस्थानों में अपनी भूमिका मजबूत कर सकता है। उसे क्षेत्रीय चुनौतियों के बावजूद अपने पड़ोसी नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव से संबंध सुधारने की जरूरत है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखना भी अहम है। 

उन्होंने कहा भारत की विदेश नीति पिछले कुछ वर्षों में काफी विकसित हुई है। उसने प्रमुख देशों से अपने संबंधों को संतुलित किया है। शीत युद्ध के दौरान वह सोवियत संघ के निकट था, वहीं बाद के दौर में उसने अमेरिका से संबंध मजबूत बनाए हैं। अमेरिका और चीन के प्रभुत्व के बीच अपनी जगह बनाई है। 

जयशंकर कहते हैं कि ट्रम्प चीन को अमेरिका के प्रतिद्वंदी की तरह देखते हैं। उनके कार्यकाल में दोनों देशों के बीच सैन्य और आर्थिक तनाव बढ़ने की आशंका है क्योंकि दोनों ही अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ट्रम्प प्रशासन में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तैयार है। उसके पास राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने और वैश्विक मंच पर आगे बढ़ने के रणनीतिक संसाधन भी हैं।

ट्रम्प के शपथ ग्रहण का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव की शुरुआत है। ट्रम्प बहुपक्षवाद को संदेह की नजर से देखते रहे हैं, लेकिन अपने शपथ समारोह के लिए विदेशी नेताओं को निमंत्रण में उन्होंने अधिक खुला दृष्टिकोण दर्शाया है। ट्रम्प ने अधिक सामंजस्यवादी और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण अपनाया है।

जयशंकर ने दिसंबर में आई अपनी किताब विश्व शास्त्र: इंडिया एंड द वर्ल्ड पर भी चर्चा की। यह पुस्तक अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत के ऐतिहासिक संदर्भों और दूरंदेशी रणनीति की झलक प्रदान करती है। इसमें भारत के प्राचीन काल से लेकर मौजूदा वैश्विक संबंधों को कवर किया गया है। यह रूस, यूक्रेन, गाजा, चीन और पड़ोसी देशों से संबंधों समेत प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भारत की स्थिति को सीधे और आसान तरीके से समझाती है।

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