अमेरिका में भारतीय प्रवासियों से जुड़े संगठन ने हाल के महीनों में अमेरिका में भारतीय मूल के छात्रों की लगातार हो रही मौत को मुद्दा उठाया है। संस्था ने जांच में तेजी लाने और इसका समाधान करने के लिए अमेरिकी सरकार की विभिन्न एजेंसियों, विश्वविद्यालयों और छात्र संघों से अपील की है।
फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) के विश्लेषण में पाया गया कि इन घटनाओं के कारणों में संदिग्ध गोलीबारी/अपहरण, सुरक्षा ज्ञान की कमी के कारण मौतें, आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले मानसिक मुद्दे और यहां तक कि संदिग्ध दुर्घटनाएं से लेकर हिंसक अपराध तक शामिल हैं।
FIIDS ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों को सुरक्षा शिक्षा बढ़ानी चाहिए, खोज और बचाव प्रक्रियाओं में सुधार करना चाहिए, रैगिंग के खिलाफ कड़े नियम लागू करने चाहिए, जोखिम और सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाएं, और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करना चाहिए।
FIIDS के मुताबिक, 2024 की शुरुआत से अमेरिका में भारतीय और भारतीय मूल के कम से कम आधा दर्जन छात्रों की मौत हो चुकी है। पिछले महीने से लापता 25 साल के एक भारतीय छात्र इस सप्ताह अमेरिका के क्लीवलैंड शहर में मृत पाया गया। पिछले सप्ताह ओहायो में भारतीय छात्र उमा सत्य साईं गड्डे की हत्या कर दी गई थी और पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पिछले महीने भारत के 34 साल के प्रशिक्षित शास्त्रीय नर्तक अमरनाथ घोष की मिसौरी के सेंट लुईस में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इनके अलावा वाणिज्य दूतावास ने बोस्टन में 20 साल के भारतीय छात्र अभिजीत पारुचुरु की मौत के बारे में एक्स पर पोस्ट किया था। कनेक्टिकट में रहने वाले पारुचुरु के माता-पिता जासूसों के सीधे संपर्क में थे और उनकी मौत की शुरुआती जांच में किसी साजिश की संभावना से इनकार किया गया था।
पर्ड्यू विश्वविद्यालय के 23 साल के भारतीय-अमेरिकी छात्र समीर कामथ पांच फरवरी को इंडियाना में मृत पाए गए थे। वाशिंगटन में दो फरवरी को एक रेस्तरां के बाहर हमले में भारतीय मूल के 41 साल के आईटी कार्यकारी विवेक तनेजा को जानलेवा चोटें आई थीं। एक अन्य हादसे में जॉर्जिया में 25 वर्षीय भारतीय छात्र विवेक सैनी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
अमेरिका में भारतीय छात्रों की दुखद मौतों में बढ़ोतरी ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय के साथ-साथ भारतीय आबादी के बीच महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा कर दी हैं। बोस्टन की डॉ लक्ष्मी थलांकी, जिन्होंने 10 से अधिक छात्रों की मौत पर डेटा जुटाया है। उनका कहना है कि भारतीय छात्रों में मौतों की अचानक वृद्धि चिंताजनक और संदिग्ध है।
FIIDS ने मंगलवार को विदेश मंत्रालय, न्याय विभाग, शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालयों, छात्र संगठनों के साथ-साथ भारतीय-अमेरिकी समुदाय को कई सिफारिशें भेजी हैं। संदिग्ध मौतों में अचानक वृद्धि के साथ ही भारतीयों के खिलाफ संभावित हेट क्राइम के बारे में भारतीय अमेरिकी समुदाय के आसपास अफवाह फैल रही हैं। विशेष रूप से कई मौतें पूर्व और मिडवेस्ट विश्वविद्यालयों के आसपास हुई हैं। विशेष रूप से क्लीवलैंड, ओहियो, इलिनोइस और इंडियाना में ऐसे मामले सामने आए हैं।
FIIDS ने कहा कि उनमें से कुछ को डर है कि हेट क्राइम समुदाय के खिलाफ नकारात्मक प्रचार से बढ़ रहे हैं। हालांकि मीडिया को दी गई जानकारी में कहा गया है कि FIIDS को अफवाहों को साबित करने के लिए कोई निर्णायक तथ्य नहीं मिला है, लेकिन भारतीय समुदाय की चिंता को दूर करने और इनका समाधान निकालने के लिए इनकी जांच करने की जरूरत है।
इसमें कहा गया, 'ओपन डोर्स रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मूल के छात्रों की संख्या पौने तीन लाख है जो कुल विदेशी छात्रों का 25 फीसदी है। ये भारतीय छात्र फीस और खर्च के मामले में अमेरिका को हर साल नौ अरब डॉलर की कमाई कराते हैं।
FIIDS में नीतियों और रणनीति के प्रमुख खांडेराव कंद का कहना है कि हालांकि, भारतीय छात्रों की मौत में हालिया वृद्धि चिंताजनक है और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह अमेरिकी विश्वविद्यालयों की सुरक्षा को लेकर उनके विश्वास को प्रभावित करेगा। FIIDS ने भारतीय-अमेरिकी छात्रों की चिंताओं और सुरक्षा को लेकर एक सर्वेक्षण शुरू करने की भी घोषणा की।
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