अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय के अधिकतर लोग पहली पीढ़ी के हैं। इनका भारत के प्रति नजरिया उनके जन्म देश से मजबूत संबंधों से आकार लेता है। लेकिन, युवा पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकियों के लिए यह मामला नहीं है। इसको समझने के लिए 'न्यू इंडिया अब्रॉड' ने हाई स्कूल की छात्राओं श्रेया श्रीवास्तव और आरा संपथ के साथ खुलकर बातचीत की। इसमें उन्होंने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार के बारे में अपने विचार साझा किए।
श्रेया श्रीवास्तव बहुत कम उम्र में भारत गई थीं। इस दौरान भारत को लेकर उनके मन में एक छवि बनी थी। उसे याद करते हुए वह देश में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक असमानताओं की बात कहती हैं। उनका कहना है कि भारत में अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ा अंतर है। मैंने बीच का वर्ग बहुत कम देखा है।
श्रेया ने कहा कि जब मैं आखिरी बार भारत गई थी, तो मैं बहुत छोटी थी। लेकिन मुझे पता है कि आर्थिक असमानता अभी भी एक बड़ी समस्या है। श्रीवास्तव ने आगे कहा कि मैंने वर्कफोर्स में लिंग असमानता और भारत में महिलाओं के सामने आने वाली व्यवस्थित चुनौतियों को भी देखा है।
आरा संपथ ने भी इन भावनाओं को दोहराया। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने भारतीय समाज में मूल्यों और विश्वासों में महत्वपूर्ण पीढ़ीगत अंतर को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मेरी समझ है कि संस्कृति बहुत बदल गई है। युवा पीढ़ियां बहुत अधिक प्रगतिशील हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीवास्तव ने उनके द्वारा किए गए परिवर्तनकारी उपायों को स्वीकार किया। इसके साथ ही अल्पसंख्यक के प्रति उनकी उपेक्षा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर आप बहुत कुछ अच्छा करते हैं और एक बुरा काम करते हैं। वह बुरा काम हमेशा आपके सभी अच्छे कामों से ज्यादा भारी पड़ेगा।
संपथ ने कहा कि उनके विचार में पुरानी पीढ़ी प्रधानमंत्री के नेतृत्व को पसंद करती है। कई युवा उनसे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी वास्तव में युवा लोगों के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। इन लड़कियों के अनुभव और विचार आज के भारत के बदलते नजरिये की एक तस्वीर पेश करते हैं। साथ ही, इनकी बातों से पता चलता है कि दुनिया भर में भारत और उसके युवा प्रवासियों के बीच संबंध मजबूत करना कितना जरूरी है।
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