डॉ. अर्चना अरुल
पिछले हफ्ते अचानक मीडिया में ऐसी खबरें आईं कि पेरिस के निकट एक विमान से 'मानव तस्करी' के आरोप में कुछ भारतीयों को हिरासत में लिया गया है। लेकिन फ्रांस के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया, क्योंकि ज्यादातर मामला 'अवैध आव्रजन' से जुड़ा है। यात्री अपनी मर्जी से विमान में सवार हुए थे।
अब चार्टर्ड रोमानियाई एयरलाइन के मुंबई में वापस उतरने के बाद पिछले तीन दिनों में निकारागुआ के अंतिम गंतव्य के साथ अपनी यात्रा करने वाले लोगों और इसकी जांच करने वाले अधिकारियों ने इस मसले पर एक खामोशी की चादर ओढ़ ली है। इस पूरे प्रकरण में दिल दहला देने वाली बात यह है कि 303 यात्रियों में नाबालिग और यहां तक कि छोटे बच्चे भी थे। जो बता रहे थे कि चीजें किस हद तक गई हैं।
करीब 25 लोगों ने भारत नहीं लौटने का फैसला किया और शरण को लेकर फ्रांस की न्यायिक प्रणाली से उम्मीदें लगा रखी हैं। कुछ रिपोर्टों से ऐसा मालूम होता है कि इस यात्रा के लिए लोगों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए 80,000 अमेरिकी डॉलर के बराबर खर्च किया होगा।
अक्टूबर 2022 और सितंबर 2023 के बीच अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (USCBP) की एक रिपोर्ट बताती है कि हाल के दिनों में अवैध रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले भारतीयों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। यह 100,000 के करीब पहुंच गई है। यह 2019-2020 से पांच गुना वृद्धि हुई है।
एक ऐसे देश में जो अवैध आप्रवासन से निपटने की कोशिश कर रहा है, वहां लगभग 750,000 के करीब बिना दस्तावेज वाले लोगों के साथ भारतीय तीसरे स्थान पर हैं। अगर अतीत को देखा जाए तो अवैध अप्रवासियों ने आमतौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश के लिए मध्य अमेरिका और मैक्सिकन सीमा को प्राथमिकता दी है।
अवैध अप्रवासी कनाडा की सीमा के माध्यम से भी अमेरिका में प्रवेश करने की अपनी संभावनाओं को प्राथमिकता देते हैं। चिलचिलाती गर्मी और जंगली जानवरों के संपर्क में आने के बावजूद यह रफ्तार थमी नहीं है। मध्य अमेरिका के माध्यम से खतरनाक ट्रेक कनाडाई-अमेरिकी सीमा के खराब मौसम का सामना करना कम खतरनाक नहीं है। लेकिन इसके बावजूद लोग जान हथेली में लिए इन रास्तों पर भटक रहे हैं।
उदाहरण के लिए यूएससीबीपी का कहना है कि इस सितंबर में करीब 8076 भारतीय नागरिक अमेरिका में घुसने की कोशिश करते हुए पकड़े गए। इनमें 38 प्रतिशत कनाडा-अमेरिका सीमा से थे। इन सीमाओं पर सर्द में जमकर मौत के मुंह में समाए लोगों पर कभी-कभार मीडिया रिपोर्ट एक सामयिक विचार लाती है कि निर्दोष आत्माएं जीवन की बेहतरी की तलाश में किस हद तक जाएंगी।
इन तमाम बातों पर गौर करते हुए अब समय आ गया है कि एक राष्ट्रीय आयोग अवैध आव्रजन के विभिन्न पहलुओं पर गौर करे। खासकर ऐसे समय में जब भारतीय पासपोर्ट के लिए अपने दरवाजे खोलने वाले देशों की बढ़ती संख्या है। लेकिन भारत में अधिकारी उन लोगों से अनजान नहीं हो सकते जो तथाकथित बेहतर जीवन शैली के लिए भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। और विदेश भेजने के नाम पर मोटी रकम की उगाही करते हैं।
• वर्तमान में एसआरएम विश्वविद्यालय, सिक्किम में अंग्रेजी की प्रोफेसर डॉ. अर्चना अरुल मानव हित से जुड़े मुद्दों पर भी लिखती हैं।
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